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नई दिल्ली में PM मोदी से झारखण्ड के CM हेमंत सोरेन की मुलाक़ात खूब चर्चा में है !

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मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन नई दिल्ली के भारत मंडपम में  प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की 10 वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में हुए सम्मिलित

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मुख्यमंत्री ने नीति आयोग की बैठक में रखे अपने विचार, दिए कई अहम सुझाव,  झारखंड राज्य की जनता की आवश्यकताओं से प्रधानमंत्री को कराया अवगत

CM हेमंत सोरेन  ने  विकसित भारत और विकसित राज्य की संकल्पना को साकार करने के लिए विकसित गांव को जोड़ने पर दिया विशेष जोर

CM सोरेन ने कहा-  सीबीए एक्ट में संशोधन कर खनन पश्चात कंपनियों को भूमि राज्य सरकार को पुनः वापस देने का प्रावधान हो

मुख्यमंत्री ने कंपनियों के सीएसआर फंड और डीएमएफटी फंड को राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में समाहित करने की रखी बात_

मुख्यमंत्री ने क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने के लिए स्ट्रेटेजिक इंपॉर्टेंट क्षेत्र में आधारभूत संरचना के विस्तार को  प्राथमिकता देने की जताई आवश्यकता

केंद्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं को  राज्यों के अनुरूप लागू करने पर मुख्यमंत्री ने दिया विशेष जोर

मुख्यमंत्री ने राज्य में डेडीकेटेड इंडस्ट्रियल माइनिंग कॉरिडोर विकसित करने पर दिया जोर

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   मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की 10 वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में सम्मिलित हुए।   इस बैठक में झारखंड का प्रतिनिधित्व करते हुए मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन ने अपने विचारों को रखने के साथ कई अहम सुझाव दिए।  मुख्यमंत्री ने कहा कि विकसित भारत की परिकल्पना विकसित राज्य से होती है, जिसमें विकसित गांव को जोड़ना सबसे जरूरी है।  विकसित भारत की मूल परिकल्पना का केंद्र बिंदु गरीबी उन्मूलन, महिला सशक्तिकरण, युवा कौशल, किसानों के विकास, पूर्ण शिक्षा, आर्थिक, आधारभूत संरचना एवं तकनीकी विकास के क्षेत्र में सतत विकास है जिसके लिए हमारी सरकार लगातार कार्य कर रही है। नीति आयोग की इस बैठक में मुख्यमंत्री ने झारखंड राज्य की जनता की आवश्यकताओं से प्रधानमंत्री को अवगत कराया।

महिलाओं का हो रहा सशक्तिकरण

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मुख्यमंत्री ने नीति आयोग की बैठक में कहा कि राज्य सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए लगभग 50 लाख महिलाओं को प्रतिमाह 2500 रुपए की राशि प्रदान कर रही है।

एक लाख चालीस हजार चार सौ पैंतीस करोड़ रुपए बकाया है_

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में खनिज और कोयले के साथ साथ अन्य  खनिजों की बहुतायत है। जिनके खनन में प्रदूषण और विस्थापन एक बहुत बड़ा कारक रहा है। खनन कंपनियों द्वारा ली गई भूमि जो कि (नॉन पेमेंट ऑफ लैंड कम्पनशेशन) में आती है उनका एक लाख चालीस हजार चार सौ पैंतीस करोड़ रुपए बकाया है, जिसको यथाशीघ्र मुहैया कराया जाए और सी बी ए एक्ट में संशोधन कर खनन पश्चात कंपनियों को भूमि राज्य सरकार को पुनः वापस देने का प्रावधान किया जाए। राज्य में  अनाधिकृत खनन के लिए कम्पनियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए। राज्य में कोल बेस्ड मीथेन गैस की बहुतायत है, जिसका तकनीकी रुप से इस्तेमाल कर ऊर्जा उत्पादन में प्रयोग किया जा सकता है। इसके साथ ही राज्य में खनन कंपनियों को कैप्टिव प्लांट लगाने की अनिवार्यता होनी चाहिए और कुल उत्पादन का 30 प्रतिशत राज्य में इस्तेमाल होने से  रोजगार सृजन में भी वृद्धि होगी। प्रदेश का वन क्षेत्र  पूर्वोत्तर राज्यों के समकक्ष है, जिससे आधारभूत संरचना के लिए क्लियरेंस में देरी अवरोध बनती है, जिसका निवारण किया जाए और पूर्वोत्तर राज्यों को मिलने वाली विशेष सहायता झारखंड को भी प्रदान कराई जाए।

परिवहन सेवाओं का विस्तार हो

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में रेल परिचालन  विस्तृत की जाए और कंपनियों के सी एस आर फंड और डी एम एफ टी फंड को राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में समाहित किया जाए। प्रदेश का साहेबगंज जिला कार्गो हब की दृष्टि से बहुत ही कारगर सिद्ध हो सकता है जो सीमावर्ती राज्यों को भी सुविधा प्रदान करेगा। इसी जिले में गंगा नदी पर अतिरिक्त पुल का निर्माण या उच्च स्तरीय बांध बनाना भी महत्वपूर्ण है। क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने के लिए स्ट्रेटेजिक इंपॉर्टेंट क्षेत्र में आधारभूत संरचना के विस्तार को  प्राथमिकता देना पड़ेगा। राज्य में डेडीकेटेड इंडस्ट्रियल माइनिंग कॉरिडोर विकसित करने से सामान्य परिचालन में सुविधा बढ़ जाएगी।          

  केंद्र सरकार की योजनाओं के मानदंड में कुछ बदलाव की आवश्यकता पर दिया जोर

             

मुख्यमंत्री ने नीति आयोग को बताया कि झारखंड सरकार  सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी कई योजनाएं बनाई है जिसमें  पेंशन योजना, मइयां सम्मान योजना, अबुआ स्वास्थ्य योजना, आदि प्रमुख है।  मुख्यमंत्री ने इस सिलसिले में केंद्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के मानदंड में कुछ बदलाव की आवश्यकता की बात कही। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि  राज्य सरकार 25 लाख परिवारों को 5 किलोग्राम चावल प्रतिमाह, आयुष्मान योजना से वंचित 28 लाख परिवारों को 5 लाख का स्वास्थ्य बीमा, आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से वंचित 38 लाख गरीब परिवारों को 15 लाख रुपए तक का स्वास्थ्य बीमा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में हमारी सरकार जिलावार हेल्थ प्रोफाइल तैयार कर रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि  इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जाना चाहिए, जिससे प्रखंड, अनुमंडल और जिला स्तर पर स्वास्थ सेवाएं मजबूत हो सके। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि केंद्र की योजनाओं को  राज्यों के अनुरूप लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की योजनाएं जैसे मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना एवं अन्य योजनाओं की राशि मे वृद्धि होनी चाहिए। राज्य में लागू सी एन टी एवं एस पी टी एक्ट के कारण उद्यम के लिए कारक बन रहे है,  जिसका वित्त मंत्रालय के समन्वय से निवारण अतिशीघ्र आवश्यक है।

   विशेष केंद्रीय सहायता को सभी 16 जिले में लागू रखने की आवश्यकता

मुख्यमंत्री ने कहा कि उग्रवाद की समस्या से निवारण के लिए सी ए पी एफ की प्रतिनियुक्ति से संबंधित प्रतिधारण शुल्क राज्य सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है, जिसे सहकारी संघवाद के सिद्धांत के तहत पूर्ण रूप से खत्म करने की आवश्यता है। नक्सल समस्या पर प्रकाश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 में राज्य के 16 जिले इससे प्रभावित थे जो कि अब 2 जिलों पश्चिमी सिंहभूम एवं लातेहार तक सिमट गया है। फिर भी विशेष केंद्रीय सहायता को सभी 16 जिले में लागू रखने की आवश्यकता है।

मजदूरों के कल्याण और सुरक्षा के लिए सरकार लगातार कर रही कर कार्य

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड जैसी महामारी में विषम परिस्थिति उत्पन्न हुई जिससे प्रदेश के मजदूर राज्य के बाहर काम करते थे उनको सहायता राज्य सरकार से प्रदान कराई गई। हाल ही में कैमरून में फंसे मजदूरों को राज्य सरकार ने अपने व्यय से वापस बुलाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि वैसे मजदूर जो किसी दूसरे देश में काम करना चाहते है उनके वीजा ,सुरक्षा और व्यय में केंद्र सरकार की भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए।

केंद्र -राज्य के बीच राजस्व बंटवारे पर भी मुख्यमंत्री ने रखी  बात

मुख्यमंत्री ने नीति आयोग की बैठक में कहा कि 16 वें वित्त आयोग द्वारा संघीय व्यवस्था में केंद्र एवं राज्य सरकारों के बीच राजस्व के बंटवारे के संदर्भ में आवश्यक प्रक्रिया बनाई गई है। राजस्व के वर्टिकल डेवल्यूशन 41% से करते हुए 50% होने की  आवश्यकता है। वर्तमान में विभाज्य पूल का आकलन केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाता है। सभी उपकर, अधिभार को घटाते हुए यह किया जाता है। इसका कोई अंश विभाज्य पूल में सम्मिलित नहीं होता है। वर्ष 2017 से जी एस टी अधिनियम लागू होने के उपरांत झारखंड जैसे विनिर्माता राज्य के लिए पूर्व के वैट  से राजस्व संग्रहण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। प्रारंभिक 5 वर्षों के लिए राज्य को 14% प्रोटेक्टेड रेवेन्यू के अनुसार कंपनसेशन की राशि मिली है। जून 2022 के बाद से राशि न मिलने से राज्य को हजारों करोड़ का राजस्व हानि हो रही है। माननीय मुख्यमंत्री ने कहा कि viksit Bharat @2047 झारखंड के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपेक्षित सहयोग प्रदान होने से विकसित झारखंड और विकसित भारत की परिकल्पना साकार होगी।

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इस अहम बैठक में  मुख्य सचिव श्रीमती अलका तिवारी, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव श्री अविनाश कुमार, स्थानिक आयुक्त श्री अरवा राजकमल, योजना सचिव श्री मुकेश कुमार भी झारखंड की ओर से शामिल  रहे।

झारखण्ड IPRD द्वारा भेजा गया प्रेस रिलीज़

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