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देश में झारखंड बनेगा माइनिंग टूरिज्म का पहला राज्य,माइनिंग टूरिज्म सर्किट
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माइनिंग टूरिज्म में देश का पहला राज्य बनने जा रहा है झारखंड
बंद पड़ी खदानें फिर से होगी चालू
दिखाई जाएगी माइनिंग की विरासत,
माइनिंग टूरिज्म होगा नया आकर्षण
देश में झारखंड बनेगा माइनिंग टूरिज्म का पहला राज्य,
बंद पड़ी कोयले की खदान फिर से होगी शुरू, लोग देख पाएंगे खनन का विरासत
झारखंड राज्य खनिज संसाधनों से भरा पूरा राज्य है छोटानागपुर पठार पर स्थित झारखंड राज्य में कोयले की भरमार है।जमीन के अंदर से कोयला निकालने की अपनी एक तकनीक और प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया सभी लोग नहीं कर सकते हैं इसके लिए खास तरह के योग्यता और कुशलता ,कौशल की जरूरत होती है। जहां कोयला झारखंड को राजस्व देता था अब उन बंद पड़ी खदानें जहां पर किसी समय में कोयला निकाला जाता था लेकिन आज वह बंद है।अब वह खदान फिर से चालू होगी और राजस्व, रोजगार और विकास टूरिज्म के लिए आकर्षण का फिर से केंद्र बनेगी।
झारखंड में कोयले की बंद खदानें अब पर्यटकों के लिए खुलेंगी, जिससे वे खनन की प्रक्रिया और इतिहास का अनुभव कर सकेंगे। झारखंड पर्यटन विकास निगम लिमिटेड और सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड के बीच समझौता हुआ है।
इससे झारखंड के पर्यटन क्षेत्र को नई दिशा मिलेगी।इससे पर्यटकों को मनोरंजन के साथ शिक्षा का भी अवसर मिलेगा।
झारखंड के मंत्री औद्योगिक विरासत को दिखाने में मददगार
राज्य के पर्यटन मंत्री सुदिव्य कुमार कहा कि 'खान पर्यटन' राज्य की औद्योगिक विरासत को दिखाने में मददगार होगा। साथ ही, स्थानीय स्तर पर आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा। बंद खदानें अब केवल खनन के लिए नहीं, बल्कि पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी बनेंगी। पर्यटक खनन क्षेत्रों में जाकर उनके भूगोल, तकनीकी प्रक्रिया और इतिहास को प्रत्यक्ष रूप से देख और समझ सकेंगे। इस योजना की शुरुआत हजारीबाग जिले के उत्तर उरीमारी माइंस से की जाएगी।
क्या है माइनिंग टूरिज्म
खनन पर्यटन एक प्रकार का पर्यटन है जिसमें लोग उन स्थानों पर जाते हैं जहां खनन गतिविधियाँ होती हैं या हुई हैं। यह पर्यटन खनन उद्योग के इतिहास, संस्कृति, और प्रौद्योगिकी को प्रदर्शित करने के लिए किया जा सकता है
पुराने खदानों का भ्रमण कर लोग पुराने खदानों में जाकर खनन के इतिहास और तकनीक के बारे में जान सकते हैं। खनन संग्रहालय में खनन उद्योग के इतिहास, उपकरणों, और तकनीक के बारे में प्रदर्शनी होती है।खनन शहरों का भ्रमण होगा।जिसमें खनन शहरों में जाकर लोग खनन उद्योग के प्रभाव को देख सकते हैं और स्थानीय संस्कृति के बारे में जान सकते हैं। असल में मीनिंग टूरिज्म हमें मीनिंग को बिल्कुल नजदीक से देखने का मौका देगी उसके अतीत को समझने और प्रक्रिया को समझने का मौका देगी यह बिल्कुल आश्चर्यचकित करने वाला और आकर्षण होगा। क्योंकि एक साधारण मनुष्य इन जगह हूं पर नहीं जाता है।
खनन पर्यटन स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे सकता है।इस पर्यटन से लोगों को विभिन्न संस्कृतियों के बारे में जानने का अवसर मिलता है।इससे लोगों को खनन उद्योग के बारे में जानने का अवसर मिलता है।
झारखंड पर्यटन विकास निगम (JTDC) और सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) के संयुक्त तत्वावधान में “माइनिंग टूरिज्म सर्किट” की अनोखी पहल की शुरुआत की गई। इस नई परियोजना का उद्देश्य राज्य में खनन पर्यटन को बढ़ावा देना है, जिससे पर्यटक न सिर्फ झारखंड की प्राकृतिक सुंदरता, बल्कि उसके औद्योगिक स्वरूप को भी समझ सकें। इस विशेष टूर में 31 जुलाई को राज्य के 15 सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर और 13 पत्रकार शामिल हुए। इन्हें कोयला खदानों की कार्यप्रणाली और क्षेत्रीय पर्यटन स्थलों की झलक दिखाने के लिए एक दिवसीय यात्रा पर ले जाया गया।
दिन के करीब 9:00 बजे प्रतिभागियों को होटल बिरसा विहार, रांची से दो ट्रैवलर बसों के माध्यम से पतरातू घाटी के लिए रवाना किया गया। दस बजे सभी पतरातू घाटी पहुंचे और वहां के हरे-भरे परिदृश्य का आनंद लिया। 12 बजे प्रतिभागियों ने पालनी फॉल्स का भ्रमण किया। दिन के एक बजे होटल पर्यटन विहार में स्वादिष्ट दोपहर के भोजन के साथ स्वागत किया गया। इसके बाद दो बजे सभी प्रतिभागियों ने CCL अधिकारियों के नेतृत्व में उरीमारी कोल माइंस का दौरा किया। CCL की टीम ने खनन प्रक्रिया, मशीनरी और सुरक्षा उपायों पर विस्तृत प्रेजेंटेशन दिया। सभी को सुरक्षा उपकरण दिए गए और ब्लास्टिंग प्रक्रिया समेत कोयला खनन की विभिन्न गतिविधियां दिखाईं गईं। उत्तरी उरीमारी खदान की तकनीकी और आर्थिक जानकारी साझा की गई, जिससे प्रतिभागियों को उद्योग के अंदरूनी पहलुओं को समझने का अवसर मिला।
JTDC के निदेशक प्रेम रंजन ने कहा, “यह पहल झारखंड के पर्यटन क्षेत्र को नया आयाम देगी। माइनिंग टूरिज्म से पर्यटक राज्य के औद्योगिक विकास और प्राकृतिक संसाधनों की जानकारी पा सकेंगे। हम CCL के सहयोग के लिए आभारी हैं।”
CCL के सीनियर अधिकारी ने कहा, यह साझेदारी पर्यटन और खनन क्षेत्र के बीच सेतु का काम करेगी। हम JTDC के साथ मिलकर ऐसे अनुभवों को और विस्तार देने की दिशा में काम करेंगे।”
झारखंड जैसे खनिज-समृद्ध राज्य में माइनिंग टूरिज्म की यह पहल पर्यटन, शिक्षा और औद्योगिक समझ को एक साथ जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। आने वाले दिनों में इस सर्किट को आम पर्यटकों के लिए भी खोलने की योजना है।
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