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चमत्कार से कम नहीं, बिना खाए पीए बीच समुद्र में 5 दिनों तक फंसा रहा मछुआरा आंखों के सामने एक-एक करके 11 लोगों की हो गई थी मौत

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बिना खाए पीए बीच समुद्र में 5 दिनों तक फंसा रहा मछुआरा

केवल बांस के सहारे बचा रहा ,आंखों के सामने एक-एक करके 11 लोगों की हो गई थी मौत, चमत्कार से कम नहीं ये घटना

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एक मछुआरा जो पानी की तेज बवंडर में समुद्र के बीच में फंसा रह गया। उसके अन्य साथी भी साथ में समुद्र में फंसे रहे एक-एक करके लोग तोड़ते गए दम, लेकिन इस मछुआरे में हिम्मत दिखाई और 5 दिनों तक बिना खाए पीये।समुद्र के बीच में बांस के सहारे बचा रहा।

कहा जाता है कि यदि विपरीत परिस्थितियों में हो, तब मनुष्य को संयम और साहस के साथ व्यवहार करना होता है क्योंकि संयम साहस मनुष्य को खराब हालत से निकालने के उपाय सोचने की ताकत देता है। ऐसे ही एक परिस्थिति अचानक से आन पड़ी पश्चिम बंगाल के रविंद्र के साथ, उन्हें तनिक भी आभास नहीं था कि उनके साथ अचानक इतनी बड़ा विपत्ति आने वाली है। लेकिन जब विपदा आई और उसमें कई लोगों ने हिम्मत हार दिया ।तब भी अपने बचने के उम्मीद के साथ उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और लगातार कोशिश करते रखा।

पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के ककद्वीप निवासी रबींद्रनाथ दास एक बांस के सहारे बंगाल की खाड़ी में 5 दिन तक तैरते रहे थे। इसके बाद उन्हें 600 किमी दूर बांग्लादेशी समुद्री तट से 10 जुलाई को रेस्क्यू किया गया था।

बंगाल की खाड़ी में आए तूफान की वजह से भारतीय मछुआरे रबींद्रनाथ दास 6 जुलाई को उसमें फंस गए थे। इस दौरान उनका जहाज भी तूफान में समा गया था। आखिरकार 10 जुलाई को उन्हें एमवी जावेद जहाज के क्रू सदस्यों ने बचा लिया गया। वह 4 जुलाई को करीब 14 मछुआरों के साथ समुद्री यात्रा पर गए थे। जहाज के समुद्र में डूबते ही 3 मछुआरे उसमें फंस गए, जबकि रबींद्रनाथ और बाकी बचे लोग समुद्र में कूद गए। उन्होंने जहाज से ईंधन ड्रम उतारकर उन्हें बांस और रस्सी से बांध दिया।

एक-एक करके रबींद्र के सारे साथी डूब गए

भूख से बेहाल और बिना लाइफ जैकेट के रबींद्रनाथ के 11 साथियों की एक के बाद एक करके मौत हो गई, रबींद्रनाथ ने धैर्य और संयम बनाए रखी।10 जुलाई को बांग्लादेश के चिटगांव में एक जहाज ने 2 घंटे की कोशिश के बाद उसे निकाल लिया। रविंद्र ने बताया कि जब उसे बचाया गया तो उसके कुछ घंटे पहले ही उसके भतीजे की पानी में डूब जाने से मौत हो गई थी। वह कई कोशिशें के बाद भी अपने भतीजे को नहीं बचा पाया। इतनी कोशिश संघर्ष और संयम का परिचय देने के कारण ही रविंद्र आज उसे पूरे ग्रुप में बचकर वापस आ पाया ऐसी घटना चमत्कार से काम नहीं कहीं जा सकती।

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