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हज़ारीबाग़ बिष्णुगढ के प्रवासी मजदूर की सऊदी अरब में हुई थी मौत,50 दिन बाद शव पहुंचा गांव

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हज़ारीबाग़ बिष्णुगढ के प्रवासी मजदूर की सऊदी अरब में हुई थी मौत,50 दिन बाद शव पहुंचा गांव

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सऊदी अरब और कुवैत में दो भारतीय मज़दूरों की मौत के बाद झारखंड के उनके गाँव में शवों का इंतज़ार किया जा रहा था

मामला हज़ारीबाग जिला के बिष्णुगढ़ प्रखंड स्थित जोबर पंचायत के बनखार्रो गाँव का है।

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मृतक धन्नजय

यहाँ के एक प्रवासी मज़दूर धनंजय महतो की मौत सऊदी अरब में 24 मई 2025 को हो गई थी। वहीं 15 जून को दूसरे प्रवासी रामेश्वर महतो ने कुवैत के एक अस्पताल में आख़िरी सांस ली थी।

दोनों ही मज़दूरों के परिजन शव वापस लाने के लिए सरकार से लगातार गुहार लगा रहे थे।मामला सुर्खियों में आने के बाद झारखंड सरकार का श्रम विभाग विदेश मंत्रालय के अधीन आने वाले लेबर सेल प्रोटेक्टर ऑफ़ इमिग्रेंट और साथ ही राज्य का श्रम विभाग सऊदी अरब और कुवैत स्थित भारतीय दूतावास से भी संपर्क में था।

इनमें से एक मज़दूर की मौत हुए 50 दिन हो चुके हैं जबकि दूसरे की मौत भी क़रीब 30 दिन पहले हुई थी।

झारखंड सरकार के संयुक्त श्रम आयुक्त प्रदीप लकड़ा बताया था कि "मामला दो देशों के बीच का है, इसलिए कागज़ी कार्रवाई के अलावा मुआवज़े की राशि पर परिवार की सहमति के लिए एनओसी मिलने में देरी हुई"

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जोहार हजारीबाग के प्रतिनिधि 25 मई को मृतक धनंजय महतो के घर गए थे, जहां मीडिया के माध्यम से मृतक की मां पनवा देवी सवाल किया था कि इतने दिनों से केवल उम्मीद ही मिल रही है,कोई ये पता नहीं लगा कर बता रहा है कि मेरे बेटे की मौत कैसे हुई?"

मृतक की पत्नी गीतांजलि देवी ने बताया था कि "उनके पति ओमान श्रीलंका में पहले भी काम करने गए थे। परंतु इस तरह की कोई घटना नहीं घटी थी। पिछले 1 साल सेवा सऊदी अरब में काम कर रहे थे।घटना घटने के बाद फोन के माध्यम से केवल हमें बताया गया कि धनंजय अब इस दुनिया में नहीं रहे हैं।उसके बाद उनका चेहरा भी दिखाया नहीं गया। पत्नी के अनुसार धनंजय महतो हमेशा साइट पर जाने से पहले सऊदी अरब के समय अनुसार सुबह के क़रीब पौने पांच बजे बात किया करते थे।"

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उस दिन 24 मई को भी उसने धनंजय से बात की , "कुछ देर के बाद उनके साथी ने कॉल करते हुए बताया कि पति धनंजय नीचे गिर गए हैं."

धनंजय के पिता ने बताया था कि पिछले एक साल से लार्सन एंड टूब्रो कंपनी में कार्यरत धनंजय महतो सऊदी अरब की निर्माणाधीन परियोजना नियोम मेगा सिटी में ट्रांसमिशन लाइन के लिए टावर लगाने का काम कर रहे थे। इसके लिए उन्हें चालीस हज़ार रुपए वेतन मिलता था।

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धनंजय के पिता

कैसे हुई थी दुर्घटना

बीबीसी न्यूज के प्रतिनिधि के अनुसार

उन्होंने धनंजय के सहकर्मी से फ़ोन पर बात की तो उन्होंने इस घटना के बारे में जानकारी दी।

उनके अनुसार, "यहाँ साइट से कुछ दूरी पर मज़दूरों के रहने के लिए कंटेनर से बनी अस्थायी रिहायशी डॉर्मेटरी है।धनंजय यहां दूसरी मंज़िल पर झारखंड के अन्य मज़दूरों के साथ रहते थे। 24 मई को धनंजय महतो अपने कमरे से बाहर निकल कर सीढ़ियों पर बैठ कर जूता पहनने लगे।अन्य साथियों के साथ मुकेश साइट पर जाने के लिए बस में बैठ कर धनंजय का इंतज़ार करने लगे। तभी अचानक बाहर हल्ला हुआ कि धनंजय महतो नीचे गिर गए हैं। ये सुनकर सभी धनंजय के नज़दीक पहुंचे।

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सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि

मृतक के परिवार को मिलेगा मुआवजा

तथा सऊदी अरब में हादसे में मृत धनंजय महतो का पार्थिव शरीर स्वदेश आने की पुष्टि भी की।

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DC हज़ारीबाग़ शशि प्रकाश सिंह

जोहार हजारीबाग के प्रतिनिधि ने घटना घटित होने के बाद हज़ारीबाग  जिला उपायुक्त शशि प्रकाश सिंह से इस संदर्भ में मुआवजा और शव आने की प्रक्रिया की स्थिति को जाना।

जिला उपायुक्त शशि प्रकाश सिंह  के मुताबिक़ शव आने में देरी को देखते हुए उन्होंने पीड़ित परिवारों और भारतीय दूतावास के बीच संपर्क कराया है।

हज़ारीबाग जिला उपायुक्त (ज़िलाधिकारी) शशि प्रकाश सिंह कहते हैं, "देरी को देख कर मैंने भारतीय दूतावास से दोनों परिवारों का सम्पर्क भारतीय दूतावास के अधिकारी से ख़ुद करवाया। अब एनओसी के लिए आवश्यक दस्तावेज़ भेजने की प्रक्रिया आरम्भ हो चुकी है. जैसे ही भारतीय दूतावास को एनओसी से सम्बंधित दस्तावेज़ उपलब्ध होंगे वैसे ही दोनों शव पैतृक गांव पहुंच सकेंगे."

मुआवज़े के संबंध में उपायुक्त ने बताया कि रामेश्वर महतो के मामले में डेथ क्लेम कुवैत की कोर्ट से तय होगा. जिसके लिए मृतक के परिवार को भारतीय दूतावास के माध्यम से दस्तावेज़ उपलब्ध करवाने थे.

वो कहते हैं कि, "ये प्रक्रिया जैसे ही एक से दो दिनों में हो जाएगी वैसे ही परिवार को शव भी प्राप्त हो जाएंगे. साथ ही मुआवज़े के लिए भारतीय दूतावास के सहयोग से परिवार को लाभान्वित करवाने की कोशिश करेंगे."

विदेश मंत्रालय के अधीन आने वाले प्रोटेक्टर ऑफ़ इमिग्रेन्ट्स के पदाधिकारी सुशील कुमार ने बीबीसी को बताया कि रामेश्वर महतो की मौत नेचुरल है।

उनका कहना है कि ऐसे में उनके परिवार को चार लाख बयालिस हज़ार नौ सौ चालीस रुपए कम्पनी की तरफ से बतौर मुआवज़ा मिलेगा, लेकिन इस रकम पर उनका परिवार सहमत नहीं हो रहा है.

सुशील कुमार का कहना है कि जब कोई प्रवासी भारत से विदेश जाते हैं तो उनका बीमा किया जाता है, जिसका क्लेम दस लाख रुपए बनता है. लेकिन इसका रिन्यूअल प्रवासी के एजेंट को हर सफ़र में करवाया जाना चाहिए.

रामेश्वर के मामले में क्लियर नहीं है कि उनके बीमा का रिन्यूअल हुआ है या नहीं

वह आगे कहते हैं, "धनंजय महतो की मौत हादसे में हुई है. ऐसे में उनको परिवार की तरफ से जब तक एनओसी दस्तावेज़ नहीं मिलेंगे तब तक मुआवज़ा क्लियर नहीं हो पाएगा।लेकिन मुआवज़ा कम्पनी में किए गए जॉब के आधार पर तय होगा"

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