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झारखंड कैबिनेट में बड़ा फैसला अब JSSC लेगा दो चरणों में परीक्षा

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झारखंड कैबिनेट में बड़ा फैसला

अब JSSC लेगा दो चरणों में परीक्षा

विगत कल झारखंड कैबिनेट मंत्रियों की प्रमुख बैठक हुई ।जिसमें कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर मोहर लगी ।इनमें से कुछ प्रस्ताव अत्यधिक महत्वपूर्ण थे।जिसमें बदलाव के कयास पहले से लगाया जा रहे थे। सबसे प्रमुख प्रस्ताव में झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा ली जाने वाली परीक्षाओं के प्रारूप में परिवर्तन किया गया है।अब परीक्षाओं का आयोजन दो चरणों में होगा।

अब  परीक्षा प्रारंभिक एवं मुख्य दो रूपों में होगी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में सोमवार को कैबिनेट की बैठक में जेएसएससी (स्नातक स्तर) संचालन (संशोधन) नियमावली 2025 के गठन को स्वीकृति दी गई। बैठक में कुल 26 प्रस्तावों पर स्वीकृति दी गई।

बताते चलें कि पूर्व में स्नातक स्तरीय संचालन नियमावली-2015 के तहत परीक्षा दो ही चरणों में होती थी। वर्ष 2021 में इसमें संशोधन करते हुए इस एक चरण यानी मुख्य परीक्षा लिए जाने की स्वीकृति दी गई थी। हाल में जेएसएससी ने कई परेशानियों को गिनाते हुए राज्य सरकार को फिर से दो चरणों में परीक्षा लेने का सुझाव दिया था।

कैबिनेट सचिव ने कहा कि किसी भी परीक्षा में अगर 50 हजार से कम आवेदन आते हैं तो प्रारंभिक परीक्षा नहीं ली जाएगी। उक्त अधिकतम सीमा से अधिक अभ्यर्थी होने की स्थिति में विभिन्न परिस्थितियों के आधार पर सीधे मुख्य परीक्षा आयोजित करने के संबंध में आयोग निर्णय लेगा।

पहले दो चरणों में परीक्षा लेकर चयनित उम्मीदवारों की अनुशंसा संबंधित विभागों को भेजी है। उसमें अनियमितता व कदाचार की सूचनाएं सामने नहीं आई। परीक्षा एक चरण और परीक्षा शुल्क कम रहने से अपेक्षाकृत अधिक उम्मीदवार आवेदन करते हैं। परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक होने से आयोग द्वारा संबंधित परीक्षा को रद्द कर दिया गया। एक-दो वर्ष में अन्य राज्यों में भी ऐसी एकस्तरीय परीक्षा में अनियमितता की सूचना मिली है। ओएमआर ( ऑफलाइन) आधारित परीक्षा के अलावा आयोग द्वारा कंप्यूटर आधारित परीक्षा भी आयोजित की जाती रही है, लेकिन राज्य में कंप्यूटर आधारित परीक्षा आयोजित करने की अधिकतम सीमा 6,000 अभ्यर्थी प्रतिदिन है।

क्यों बदली गई परीक्षा प्रणाली का स्वरूप

बताते चले की परीक्षा में प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा कराई जाने के निर्णय लेने के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण बताए जा रहे हैं। इसमें से एक महत्वपूर्ण कारण है।एक चरण में परीक्षाओं का आयोजन से वैसे अभ्यर्थी जो परीक्षाओं के प्रति सजग नहीं भी होते हैं।वह भी परीक्षा हेतु आवेदन कर देते हैं जिससे वैसे अभ्यर्थियों की संख्या अत्यधिक हो जाती है।जो परीक्षाओं के प्रति तैयार नहीं होते। बीते वर्षों में झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा जितने भी परीक्षाओं का आयोजन कराया गया।उसमें अलग-अलग स्वरूप में धांधली पेपर लीक और गड़बड़ी जैसी शिकायत लगातार देखने को मिली। वर्तमान में झारखंड सचिवालय की परीक्षा जो लगातार कई कारणों  से विवाद की स्थिति में बनी हुई है। मुख्य परीक्षा और प्रारंभिक परीक्षा के आधार पर भीड़ को कम किया जा सकता है। और पेपर लीक धांधली जैसे घटनाओं में कमी देखने को मिल सकती है।

लंबे समय से छात्र कर रहे थे उसकी मांग

बताते चले कि झारखंड में होने वाली सभी परीक्षाएं विवादित रही है। ऐसे में एक स्तर पर परीक्षा होने से उसमें धांधली की संभावना अधिक बढ़ जाती है। और सीधे नियुक्ति हो जाती है।परंतु दो स्तर पर परीक्षा होने से ऐसी गतिविधियों पर रोक लगेगी ।गड़बड़ियों को रोकने ,धांधली और पेपर लीक जैसे घटनाओं के खिलाफ लगातार छात्र सभी परीक्षाओं को दो चरणों में आयोजित करने की मांग कर रहे थे। सरकार ने वस्तु गति स्थिति को देखते हुए ,अब होने वाली परीक्षाओं को दो चरणों में आयोजित करने का निर्णय लिया है।आंदोलनकारी छात्रों ने इस निर्णय का स्वागत किया है।

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