हज़ारीबाग़ जेल से फिर हुए फरार विदेशी कैदी,2 महिला एक पुरुष
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हज़ारीबाग़ जेल से फिर हुए फरार विदेशी कैदी,2 महिला एक पुरुष
तीन कैदियों के भागने से सुरक्षा व्यवस्था पर उठे गंभीर सवाल
हजारीबाग स्थित जयप्रकाश नारायण सेंट्रल जेल के ओपन जेल के होल्डिंग कैंप से तीन बांग्लादेशी कैदी फरार हो गए तीनों कैदियों को भारत में अवैध तरीके से रहने के कारण पकड़ा गया था। बीच शहर में प्रशासन के नाक के नीचे से बांग्लादेशी कैदियों के फरार होने से केंद्रीय कारागार की सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान उठ रहा है।
तीनों बांग्लादेशी कैदी शुक्रवार की देर रात यह शनिवार की सुबह ही जेल से निकल भागे हैं। इस घटना के खुलासा होते ही प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों ने उनकी खोजबीन तेज कर दी है।इस खबर की जानकारी जैसे ही आम नागरिकों को हुई कि हजारीबाग के ओपन जेल के होल्डिंग कैंप से तीन बांग्लादेशी फरार हुए हैं। लोगों के बीच चर्चा विमर्श और चिंता का विषय बन गया है कि जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारागार से इतनी सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद भी तीन कैदी कैसे भाग सकते हैं।
इसके पूर्व भी केंद्रीय कारागार के कई कैदी विभिन्न तरीकों से भागने में सफल रहे थे।हालांकि बाद में उन्हें खोज अभियान के बाद पकड़ लिया गया था।
12 अगस्त 2024 को एक कैदी जो उम्रकैद की सजा काट रहा था।वह कैदी हवलदार की हत्या कर फरार हो गया था। कैदी का इलाज शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज में चल रहा था।रेप मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे शाहिद अंसारी ने हवलदार के सिर पर लोहे की रॉड मारकर हत्या की थी। यह घटना अस्पताल में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई थी।
एक दूसरी घटना उसमें भी हजारीबाग जेल से दो रोहिंग्या कैदी खिड़की का रॉड काटकर भरी दोपहरी में हो गए थे गायब ।
इससे पूर्व भी 13 सितंबर 2020 को एक रोहिंग्या कैदी फरार हो गया था।। बताया गया कि दोपहर 12:50 बजे कैदी फरार हो गए थे। दो बजे जब सुरक्षाकर्मी जब खाना देने गए तो देखा कि दोनों कमरे से गायब हैं और खिड़की का रॉड कटा हुआ था। इसके बाद जेपी कारा में हड़कंप मच गया था। जेल प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए हवलदार सहित पांच जवानों को निलंबित कर दिया था।(दैनिक जागरण)
फरार हुए तीनों कैदियों की पहचान इस प्रकार की गई है:
1. रीना खान उर्फ फिना देवी – निवासी: गाजीपुर, ढाका, बांग्लादेश।
यह कैदी 4 फरवरी 2022 को जामताड़ा जेल से हजारीबाग ओपन जेल में ट्रांसफर हुई थी।
पहचान चिन्ह: नाक के नीचे तिल और दाहिने हाथ पर जख्म का निशान।
2. अख्तर खुशी – निवासी: चाटग्राम, बांग्लादेश।
यह महिला कैदी 28 सितंबर 2024 को होटवार, रांची जेल से हजारीबाग लाई गई थी।
पहचान चिन्ह: दाहिनी हथेली और बाएं कोहनी के नीचे तिल।
3. मोहम्मद नजमूल हंग – निवासी: बागेरहाट, बांग्लादेश।
यह पुरुष कैदी 1 मार्च 2025 को दुमका जेल से हजारीबाग लाया गया था।
पहचान चिन्ह: माथे के बाएं हिस्से पर तिल और बाएं पैर पर जख्म का निशान।
इसके पहले तीनों कैदियों को अलग-अलग जेलो में रखा गया था फिर बाद में उन्हें रिटेंशन सेंटर में शिफ्ट किया गया।
इस पूरी घटना में प्रशासन के आला अधिकारी जवाब देते हुए बच रहे हैं। किसी भी प्रशासनिक अधिकारी द्वारा स्पष्ट रूप से कोई जवाब नहीं दिया गया है। जेल सुपरिंटेंडेंट भी छुट्टी पर दिल्ली गए हुए ऐसी जानकारी प्राप्त हुई है।
झारखंड के प्रमुख केंद्रीय कारगर में से एक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारागार में इस प्रकार की लगातार घटित होती घटनाएं यहां के सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हैं और सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलती है।
यदि कैदी फरार हुए हैं तो कहीं ना कहीं कोई कमी या सुरक्षा में चूक अवश्य रही होगी अन्यथा प्रशासन की सतर्कता रहने से ऐसी घटनाएं कभी नहीं घटित होती इसके पूर्व भी इस प्रकार की घटनाएं घटित हो चुकी है परंतु इसके बावजूद भी अंकुश न लगना सुरक्षा निगरानी पर सवाल खड़ा करता है।
सवाल बनता है कि इन कैदियों के फरार होने में कहा चूक रह गई।सुरक्षा व्यवस्था में कहां कमी रह गई?कैसे वे इतनी सुरक्षा के बाद भी भाग निकले और इस चूक का जिम्मेदार कौन है?