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लाखों भाई बहन कलाई पर नहीं बांध पाते है रक्षा का बंधन

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देश की रक्षा को सर्वोपरि मान,,,,

लाखों भाई बहन कलाई पर नहीं बांध पाते है रक्षा का बंधन,,,,

भावनाओं को जोड़ता है रक्षाबंधन का त्यौहार

जीवन भर विपत्तियों में साथ निभाने का दिलाता है संकल्प

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हर साल, जब मानसून की बारिश धरती को भिगोती है, तो लोगों के घर खुशियों, परंपराओं ,भावनाओं और एकता से बंध जाती हैं। बहनें ध्यान से खूबसूरत राखियाँ चुनती हैं, भाई दिल को छू लेने वाले तोहफ़े तैयार करते हैं, और रसोई में स्वादिष्ट त्योहारी मिठाइयाँ बनने की चहल-पहल होती है।रक्षाबंधन एक त्यौहार से कहीं अधिक है। यह भावनात्मक संबंधों को जोड़ता है और उसे मजबूती देता है, यह एक ऐसा उत्सव है जो स्नेह ,लगाव का समर्थन और एकता के वादे के साथ परिवारों को करीब लाता है।

यह प्रिय मौका कोई और नहीं, बल्कि रक्षाबंधन है , जो देश की सांस्कृतिक और भावनात्मक ताने-बाने में गहराई से समाया हुआ त्योहार है। लेकिन रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है ? यह भाई-बहन के अटूट बंधन का उत्सव है—जिसे राखी बांधकर चिह्नित किया जाता है, एक पवित्र धागा जो प्रेम, विश्वास और आजीवन सुरक्षा का प्रतीक है। जो यह याद दिलाता है कि भाई का बहन के प्रति क्या कर्तव्य और दायित्व है उसकी परेशानियां सुख हो ,दुखों में तटस्थ होकर साथ निभाने का वचन दिलाता है।

रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है क्या है ऐतिहासिक संदर्भ

रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है , यह समझने के लिए इसकी ऐतिहासिक और पौराणिक तथ्यों को जानना ज़रूरी है। रक्षाबंधन के पीछे का इतिहास कई कहानियों से भरी है जो सुरक्षा के प्रतीक के रूप में इसके महत्व को उजागर करती हैं। महाभारत की एक प्रमुख कथा भगवान कृष्ण और द्रौपदी से जुड़ी है।

"जब कृष्ण की उंगली में चोट लगी, तो द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उस पर पट्टी बाँधी। उसकी इस स्नेह और दयालुता से प्रभावित होकर, कृष्ण ने उसकी रक्षा करने का वचन दिया—यह वचन उन्होंने कौरव दरबार में उसके अपमान के दौरान भी निभाया। रक्षाबंधन के पीछे की यह कहानी इस त्योहार के निष्ठा और सुरक्षा के विषय को रेखांकित करती है।

देश के लाखों भाई बहन देश की सुरक्षा देकर मनाते है रक्षा बंधन

जब पूरा देश राखी के त्यौहार रक्षाबंधन को मना रहा होता है,भाई के हाथों पर बहन रक्षा का सूत्र बांध रही होती है, इसी समय देश की सीमाओं पर हमारे देश के लाखों भाई-बहन देश की सुरक्षा कर रहे होते है।

पूरा देश सुख शांति और चैन के साथ पर त्यौहार को मना पाए। इसके लिए वह त्यौहार नहीं मानते। भाई-बहन की सुरक्षा के संकल्प से बढ़कर देश की सुरक्षा के संकल्प को सर्वोपरि मानते हुए ,देश के सीमा पर त्यौहार मनाते हैं। इसी क्रम में जोहर हजारीबाग के प्रतिनिधि ने निशु कुमारी से बात कि जो हजारीबाग की स्थाई निवासी और वर्तमान में सेंट्रल रिज़र्व पुलिस फोर्स (CRPF) लखनऊ में कार्यरत है।

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निशु कुमारी ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2022 में सीआरपीएफ ज्वाइन किया। ट्रेनिंग की एक साल में वह रक्षाबंधन के समय घर नहीं आ पाई थी। उनकी ट्रेनिंग केरल राज्य के पेरिंगम CRPF CAMP में हुई थी। ट्रेनिंग के अगले साल भी घर नहीं आ पाई थी। और लखनऊ कैंप में ही रक्षाबंधन को मनाया था। उन्होंने बताया कि देश के करोड़ों भाई-बहन अच्छे से खुशहाली से सभी पर्व त्यौहार को मना पाए इसके लिए लाखों अर्धसैनिक बल पर्व त्यौहार के दिन में भी देश के प्रति अपने कर्तव्य को निभाते हैं ताकि देश सुरक्षित रह सके।

जब उनसे पूछा गया की पर्व त्यौहार के समय आप अपने घर आना चाहते होंगे। तो उन्होंने बताया कि वैसे तो सभी को अपने परिवार के साथ अपने सुख-दुख के पल को बिताने में बहुत अच्छा लगता है लेकिन एक व्यक्तिगत इच्छा के साथ-साथ देश के प्रति जिम्मेवारी और कर्तव्य हमें और हमारे हौसले को बढ़ाते हैं।

जब मैं अर्धसैनिक बल में नहीं थी तब केवल मेरे परिवार तक की जिम्मेदारी थी लेकिन अभी पूरे देश के लोगों की जिम्मेदारी सैनिक बलों के ऊपर है। इसीलिए जिम्मेदारी जितनी बड़ी होगी तो उसके लिए संघर्ष और त्याग भी उतना बड़ा ही करना होता है।

जब छुट्टियां होती है तो मैं अपने घर आती हूं। इस बार 2 साल के बाद मै रक्षाबंधन के दिन अपने घर पर हूं,और परिवार के साथ इस बार रक्षाबंधन मना रही हूं।

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