1901 में बना था हजारीबाग का पंचमन्दिर ,आया नया अपडेट
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1901 में बना था हजारीबाग का पंचमन्दिर ,आया नया अपडेट
हजारीबाग , झारखंड राज्य हिन्दू धार्मिक न्यास पर्षद के द्वारा hzb शहर में स्थित श्री राधा कृष्ण मंदिर (पंच मंदिर) को लेकर मंगलवार को अपनी अधिसूचना 1847/25 दिनांक 20.05.2025 जारी कर दी।
1901 में बना था हजारीबाग का पंचमन्दिर विदित हो कि हजारीबाग में स्थित श्री राधाकृष्ण मंदिर (पंच मंदिर) की स्थापना 1901 में मैदा कुँवरी, रघुनंदन राम, गोविन्द साहु वगैरह के द्वारा एक निजी ट्रस्ट के रूप में हुआ। जो कालांतर में संपूर्ण बिहार में प्रसिद्ध एवं सार्वजनिक हुआ। यह की मैदा कुँवरी एवं अन्य के वंशजों द्वारा सन 1963 में मंदिर का निबंधन, तत्कालीन बिहार राज्य हिन्दू धार्मिक न्यास पर्षद, पटना में कराया गया जिसका निबंधन संख्या 1290 है। निबंधन के उपरांत यह मंदिर सार्वजनिक हो गया।
बताते चले कि कई प्रक्रियाओं और पेचीदगियों को दूर कर गठित हुई समिति झारखण्ड राज्य हिन्दू धार्मिक न्यास पर्षद के अध्यक्ष जयशंकर पाठक ने शहर के लोगों से मंतव्य लेकर कई नामों पर गौर करते हुए इसपर 11 नामों पर अंतिम फैसला लेते हुये 10/02/2025 को बोर्ड की बैठक में इस विषय पर विचार-विमर्श हुआ।
उसके बाद हजारीबाग पंचमन्दिर को लेकर राज्य सरकार की आई अधिसूचना, 11 सदस्यीय न्यास पर्षद समिति बनी।
- सदर एसडीओ ने भेजा नाम, राज्य से लगी मुहर
- पदेन अध्यक्ष एसडीओ, 02 उपाध्यक्ष और 01 सचिव के जिम्मे होगा मंदिर और उसकी संपत्ति
- प्राइवेट मंदिर बताकर कब्जा करने की साजिश हुई विफल, सार्वजनिक घोषित हुई मंदिर।
राज्य सरकार द्वारा जो अधिसूचना जारी हुई है उसके अनुसार समिति के पदेन अध्यक्ष अनुमंडल पदाधिकारी, हजारीबाग होंगे। वही आजय गुप्ता, और नीलेन्दु जयपुरियार को उपाध्यक्ष तथा विजय केशरी को सचिव बनाया गया है। इसके अलावे विनित अग्रवाल (चार्टर्ड अकाउंटेंट), कोषाध्यक्ष जयप्रकाश (जेपी) तथा सदस्य शारदा रंजन दुबे, सुनिल कुमार, आनंद कुमार गुप्ता, सुरेन्द्र कुमार वर्मा तथा ओम प्रकाश पासवान बनाये गए हैं। समिति का कार्यकाल तीन वर्षों का होगा।
पहली बार ऐसी अधिसूचना, जिसमें न्यास समिति के कार्य और दायित्व भी रखा गया । हज़ारीबाग़। जो अधिसूचना जारी हुई है उसमें पहली बार न्यास समिति के कार्य और दायित्व भी रख दिया गया है। इसके मुताबिक उपरोक्त समिति निम्नलिखित कर्तव्यों के प्रति उत्तरदायी होगी।
इसी के साथ बताते चले कि यह संशय खत्म कर दिया सैकड़ों साल से सार्वजनिक रूप से लोगों के नाम कर दी गई यह मंदिर और इसकी जमीन न किसी की प्राइवेट संपत्ति है और न आगे होगी। इसके लिए जारी अधिसूचना में पर्षद ने मंदिर को बचाने की लड़ाई में शामिल लोगों को सम्मान देते हुए एक ग्यारह सदस्यीय प्रबंधन संमिति गठित कर दी।
न्यास के चल-अचल सम्पति का समुचित अभिलेख, उपयोग एवं सुरक्षा व्यवस्थित रखें, न्यास के आय-व्यय का समुचित लेखा संधारण सुनिश्चित करें एवं तत्संबंधी राशि को एक बैंक खात खोलकर जमा रखें। मंदिर में राग-भोग, पूजा आदि का समुचित व्यवस्था करें। न्यास के आय-व्यय का ब्यौरा एवं बजट ससमय बोर्ड की सम्पुष्टि हेतु भेजें। न्यास द्वारा देय पर्षद शुल्क का भुगतान ससमय बोर्ड को करें। मंदिर तथा उसके भवनों के समुचित रख-रखाव का दायित्व भी न्यास समिति का ही होगा। न्यास समिति न्यास के आय में वृद्धि करने हेतु समय-समय पर प्रस्ताव पारित कर पर्षद की अनुमति से लागु करेगी। न्यास से संबद्ध रीति रिवाज एवं न्यास के उद्येश्यों की पूर्ति करना भी न्यास समिति का दायित्व होगा। न्यास समिति न्यास की आय व्यय का पूर्ण लेखा-जोखा रखेगी उसका अंकेक्षण प्रतिवेदन पर्षद को भेजेगी | न्यास समिति समय समय पर भजन कीर्तन का आयोजन करेगी तथा धार्मिक उत्सवों, त्योहारों में जनता की भागीदारी को आमंत्रित करेगी।
न्यायालय के आदेश, विभिन्न प्रबुद्ध व्यक्तियों, सामाजिक संगठनों के स्मार तथा सार्वजनिक हित और लोगों की धार्मिक भावनाओं के देखते हुए बोर्ड ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव संख्या-10 के द्वारा ग्यारह सदस्यीय प्रबंधन संमिति गठित करने का निर्णय लिया। फिर पर्षद के अध्यक्ष को एक समिति बनाकर अधिसूचित करने के लिए अधिकृत किया गया। अब राज्य सरकार से यह अधिसूचना जारी कर दी गई।
और बताते चले कि राधाकृष्ण मंदिर की व्यवस्था उचित रूप से न होने के कारण बिहार हिन्दू धार्मिक न्यास अधिनियम (4950-51) प्रथम कानून की धारा - 29(2) के तहत् अवकमित कर अधिनियम की धारा - 32(2) के तहत् तत्कालीन बिहार राज्य हिन्दू धार्मिक न्यास पर्षद के पत्रांक संख्या - 2568 दिनांक - 01,//02,//1993 के द्वारा एक ग्यारह सदस्यीय समिति, अनुमण्डल पदाधिकारी के अध्यक्षता में गठित की गई।
झारखण्ड राज्य हिन्दू धार्मिक न्यास पर्षद के द्वारा पुनः पत्रांक संख्या - 546//2011 दिनांक - 23/06/2011 के तहत् नई समिति का पंजीयन किया गया। माननीय झारखण्ड उच्च न्यायालय ने W.P(C) 7800/12, दिनांक 03/01/2025 के आदेश के द्वारा बोर्ड के केवल दो सदस्यों की सहमति होने के कारण (पूर्ण बोर्ड की सहमति नहीं होने के कारण) खरिज कर दिया गया था।
बिहार राज्य हिन्दू धार्मिक न्यास अधिनियम, 1950-51 (अंगीकृत) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह ग्यारह सदस्यीय समिति बन गई।
Story by स्नेहा