हजारीबाग के पहले MLA कौन थे ? First MLA of Hazaribagh
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Story compiled by Sneha /edited by Faiz Anwar
हजारीबाग के पहले MLA कौन थे ?
1952 के प्रथम चुनाव में रामगढ़ घराने के डॉ. बसंत नारायण सिंह को हजारीबाग विधानसभा क्षेत्र के पहले विधायक (MLA) निर्वाचित किया गया था । फिर उन्हें लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद उपाधि से नवाजा गया था। उनके बाद 1962 में ज्ञानी राम, 1967 में रघुनंदन प्रसाद, और 1977 में रानी दे ने इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।
आइए जानते है कि डॉक्टर बसंत नारायण सिंह हजारीबाग के पहले MLA कैसे बने ?
उनके राजनितिक जीवन के बारे में जान्ने से पहले आइए जानते हैं उनका निजी जीवन कैसा रहा था ?
वे किस परिवार से तालुक रखते थे ? उनकी पढाई लिखाई कहाँ हुई थी ?
महाराज कुमार डॉ. बसंत नारायण सिंह (जन्म: पद्म लक्ष्मी निवास पैलेस, हजारीबाग जिला, 9 अप्रैल, 1918) एक भारतीय राजनीतिज्ञ और बिहार राज्य के हजारीबाग (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) का प्रतिनिधित्व करने वाले 7 वीं लोकसभा के सदस्य थे।
डॉ बसंत नारायण सिंह की शिक्षा रायपुर के राजकुमार कॉलेज और अजमेर के मेयो कॉलेज में हुई। वे भारतीय संसद की तीसरी, चौथी और छठी लोकसभा के सदस्य भी चुने गए। वे 1952-62 और 1967-74 के दौरान बिहार राज्य विधान सभा के सदस्य थे और 1967-72 तक बिहार में कैबिनेट मंत्री रहे और वन, आबकारी, जेल, राजस्व, लोक निर्माण और सिंचाई जैसे विभिन्न विभागों को संभाला। वे जनता पार्टी के महासचिव थे जिसका गठन रामगढ़ राज के महाराजा ने किया था।
वह रामगढ़ राज के शाही परिवार से थे। उन्होंने एच.आर.एच. की बेटी कुवारानी विजया राजे से शादी की। धार राज्य के महाराजा सर उदाजी राव द्वितीय परमार (इंग्लैंड के राजा के मानद ए.डी.सी.)। उनके दो बच्चे थे, महाराज कुमार मयूरध्वज नारायण सिंह गाजी सरकार साहब और कुवरानी भावना राजे। इनका निवास स्थान हज़ारीबाग़ के राजा कोठी में था।
वह रामगढ़ राज के महाराजा कामाख्या नारायण सिंह बहादुर के छोटे भाई, दिवंगत राजा लक्ष्मी नारायण सिंह बहादुर के पुत्र और पोराहाट राज (कोल्हान एस्टेट) के महाराजा राजा अर्जुन सिंह (स्वतंत्रता सेनानी) के परपोते थे।
अब आइए जानते है कि डॉक्टर बसंत नारायण सिंह हजारीबाग के पहले MLA कैसे बने ?
बात 1952 की है जब भारत ने कुछ ही वर्षों पहले आज़ादी पाई थी और उसके तुरंत बाद ही देश में पहला आम चुनाव होने वाला था , तब झारखंड का हिस्सा बिहार में आता था, और हजारीबाग को एक जागरूक, सांस्कृतिक और खनिज संसाधनों से भरपूर इलाका माना जाता था।
डॉक्टर बसंत नारायण सिंह एक शिक्षित, सादगीप्रिय और दूरदर्शी व्यक्ति, हजारीबाग के एक सामान्य परिवार से आते थे। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्होंने कांग्रेस पार्टी के बैनर तले कई आंदोलनों में भाग लिया था। उन दिनों उन्हें जेल भी जाना पड़ा था ।उन्होंने गांव-गांव में घूमकर लोगों को अंग्रेज़ों के खिलाफ जागरूक किया और आज़ादी की लौ जलाई थी ।
आज़ादी के बाद जब चुनाव की घोषणा हुई, तो लोगों ने निवेदन कि बसंत नारायण सिंह को इस चुनाव में खड़ा होना चाहिए , पर उन्हें किसी पार्टी का लालच नहीं था, लेकिन जनता की सेवा की भावना ने उन्हें चुनाव में खड़े होने का निर्णय ले लिया । फिर उन्होंने कांग्रेस से टिकट लिया और चुनाव मैदान में उतर गए ।
चुनाव के मैदान में उतरते ही उन्होंने सभी से एक ही बात कही थी -
("मैं विधायक नहीं, आपका सेवक बनना चाहता हूँ।")
बसंत नारायण सिंह का चुनाव प्रचार बेहद सादा था , वो पैदल चलते थे और लोगों के साथ खेतों में बैठकर सभी से बाते करते थे और उनके कामों में हाथ भी बटाते थे।
बसंत नारायण एक सादे स्वभाव और ईमानदार व्यक्ति थे और उनके पास ज्यादा पैसे नहीं थी फिर भी उनके स्वभाव के कारण उन्होंने सभी का दिल जीत लिया था।
फिर थोड़े दिनों बाद चुनाव का नतीजा आया और डॉक्टर बसंत नारायण सिंह भारी मतों से जीत गए।
इस प्रकार बसंत नारायण सिंह हजारीबाग के पहले विधायक बने।
विधायक बनने के बाद उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़कों पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने कहा था:
("हमने आज़ादी इसलिए नहीं पाई कि कुछ लोग राज करें, बल्कि इसलिए कि हर नागरिक को उसका अधिकार मिले।")
उनकी कार्यशैली और इमानदारी की मिसाल आज भी हजारीबाग में दी जाती है।
डॉक्टर बसंत नारायण सिंह के राजनीतिक जीवन के बारे में -
1. 1947 में, आज़ादी के बाद, वे हजारीबाग जिला परिषद के प्रथम अध्यक्ष चुने गए थे।
2. 1952 और 1957 में, वे हजारीबाग से बिहार विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे।
3. 1962 और 1967 में, उन्होंने हजारीबाग से लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद के रूप में सेवा की थी।
4. 1969 में, वो बगोदर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए और सरदार हरिहर सिंह के मंत्रिमंडल में राजस्व मंत्री बने।
5. 1971 में, उन्होंने कर्पूरी ठाकुर के मंत्रिमंडल में लोक निर्माण और सिंचाई मंत्री के रूप में कार्य किया था।
6. 1972 में, पुनः वो बगोदर से विधायक चुने गए थे ।
7. 1977 और 1980 में, वो हजारीबाग से लोकसभा सांसद भी बने।
डॉक्टर बसंत नारायण सिंह के विकास कार्य के बारे में -
डॉ. बसंत नारायण सिंह ने हजारीबाग और आसपास के क्षेत्रों में कई विकास कार्य किए, जिनमें प्रमुख कार्य हैं: -
1. उन्होंने अंजनवा, बक्सा, लोटिया डैम और बनासो-बगोदर नहर का निर्माण किया।
2. उन्होंने सड़क, स्कूल, आहर, तालाब और अस्पतालों का निर्माण करवाया।
3. 1980 में, तत्कालीन रेलवे मंत्री कमलापति त्रिपाठी के कार्यकाल में कोडरमा में कई महत्वपूर्ण ट्रेनों का ठहराव सुनिश्चित कराया था ।
डॉ. बसंत नारायण सिंह का जीवन समर्पण, सेवा और विकास का प्रतीक है। उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व ने हजारीबाग को एक नई दिशा दी और उनकी कार्यशैली और इमानदारी की मिसाल आज भी हजारीबाग में दी जाती है।