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आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय की दो लड़कियों ने की मैट्रिक परीक्षा पास

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उम्मीद की किरण बनी किरण और चानवा

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आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय की दो लड़कियों ने की मैट्रिक परीक्षा पास

समाज के विकास में शिक्षा के महत्व के लिए बनी उदाहरण

हज़ारीबाग़ DC ने किया सम्मानित

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आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय की दो बालिकाओं के मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास करने पर उपायुक्त ने दोनों को किया सम्मानित

पूरे जिले में पहली बार बिरहोर समुदाय की दो बेटियों ने मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास की है,यह अपने समुदाय की ब्रांड एम्बेसडर के रूप में जानी जाएगी: उपायुक्त

झारखंड एकेडमिक काउंसिल के मैट्रिक परीक्षा में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुई बिरहोर जनजाति की दो बालिकाओं किरण कुमारी और चानवा को उपायुक्त श्री शशि प्रकाश सिंह ने आज 30 मई को अपने कार्यालय वेश्म में सम्मानित किया।

उपायुक्त ने इन दोनों बच्चियों को शॉल एवं पुस्तक भरा बैग देकर आशीष दिया।

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उपायुक्त ने कहा कि किरण कुमारी एवं चानवा की सफलता पर काफी खुश है तथा इनके उज्जवल भविष्य की कामना करते है। उन्होंने कहा कि हमारा यह प्रयास रहेगा कि समाज के अंतिम पायदान के छात्र छात्राओं तक शिक्षा की ज्योत पहुंचे।

उपायुक्त के हाथों सम्मानित होकर उत्साहित दोनों बच्चियों ने उपायुक्त को बताया कि वें आगे चल कर डॉक्टर और देश सेवा के क्षेत्र में जाना चाहती है।

उपायुक्त इनकी बातें सुनकर काफी प्रभावित हुए एवं शिक्षा के लिए हरसंभव सहयोग का भरोसा दिलाया।

उन्होंने मौके पर मौजूद जिला शिक्षा पदाधिकारी से इनकी समस्याओं को पर विशेष ध्यान देने का निर्देश दिया। उन्होंने कस्तूरबा विद्यालय के शिक्षक एवं वार्डन से भी विद्यालय में शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाने के साथ साथ विद्यालय में आवश्यक सुविधाओं को बहाल करने संबधी बिंदुओं को संज्ञान में लाने का निर्देश दिया।

अंत में उपायुक्त ने दोनों बच्चियों को इनके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी।

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: झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने मैट्रिक परीक्षा का रिजल्ट जारी कर दिया है। परीक्षा परिणाम जारी होते हुए कई नई रिकॉर्ड बने और कई पुराने रिकार्ड ध्वस्त हुए ,परंतु अंकों और आंकड़ों के बनते टूटते रिकॉर्ड के बीच एक रिकॉर्ड ऐसा भी है। जो हम सभी के लिए प्रेरणा के रूप में उदाहरण मूलक है। इन सब से इतर इस बार के परिणामो ने उम्मीद,संघर्ष और बदलाव की नई कहानी लिखी है।वो उदाहरण है बिरहोर जनजाति की दो बेटियों की जिसने मैट्रिक की परीक्षा पास कर इतिहास रचा है।

चौपारण प्रखंड के वन क्षेत्र में बसा एक छोटा सा गांव जमुनियातरी आज खुशी से झूम रहा है। इस गांव से ताल्लुक रखने वाली आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय की दो बेटियों – किरण कुमारी (पिता- रोहन बिरहोर) और चानवा कुमारी (पिता- विष्णु बिरहोर) ने वो कर दिखाया है जो पहले कभी नहीं हुआ।

किरण कुमारी ने 409 अंक (करीब 80%) और चानवा ने 332 अंक (करीब 66%) लाकर न सिर्फ प्रथम श्रेणी में परीक्षा पास की, उनकी परीक्षा का परिणाम केवल एक कागज का टुकड़ा ही नहीं बल्कि उनके परिवार और उनके समुदाय तथा हर पिछड़े समुदाय को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरणा स्रोत के रूप में उम्मीद बनकर सामने आया है। इन्होंने बताया कि किस प्रकार आर्थिक,, सामाजिक ,राजनीतिक पिछड़ेपन का दंश झेलते हुए, संसाधनों के अभाव में किस प्रकार खुद को आगे बढ़ाया जा सकता है।बल्कि अपने समुदाय के लिए एक उम्मीदों का मार्ग प्रशस्त किया है।

कस्तूरबा विद्यालय ने लिखी है बदलाव की दास्तां

किरण कुमारी और चानवा दोनों छात्राएं कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय चौपारण में पढ़ाई की है,यह विद्यालय उनके लिए महज शिक्षण संस्थान नहीं, बल्कि सपनों की बुनियाद थी,जो उन्हें अंधकार से उजाले की ओर ले गया।

पूरे राज्य के लिए प्रेरणा

किरण और चानवा अब सिर्फ दो नाम नहीं रह गए हैं, बल्कि आदिम बिरहोर समुदाय के जैसे अन्य पिछड़े समाज के लोगों और लड़कियों के लिए प्रेरणा बन गई हैं. इन्हें देखकर अब वे बच्चे भी आगे पढ़ाई करने का संकल्प लेंगे।

किरण और चानवा के मैट्रिक पास करने पर उपायुक्त श्री शशि प्रकाश सिंह ने दोनों बच्चियों को बधाई व उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी है। उन्होंने कहा कि वे दोनों अपने समाज में बदलाव की अग्रदूत बनेंगी।

कौन है बिरहोर जनजाति

बिरहोर समुदाय एक जनजातीय समूह (पीवीटीजी) है, जो पारंपरिक रूप से खानाबदोश और शिकार कर जीवन यापन करने के लिए जाना जाता है। हाल के दशकों में सरकार तथा स्थानीय प्रशासन द्वारा इनके हितों की रक्षा करने तथा इन्हें मुख्य धारा से जोड़ने के लिए अनेकों योजनाओं का क्रियान्वयन किया है। फलस्वरूप उनके जीवन शैली में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं जिनमें से कई अब स्थाई निवास कर रहे हैं और आधुनिक सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं।

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