अब दो Ironman झारखण्ड से,एक हज़ारीबाग़ से और दुसरे जमशेदपुर से
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अब दो Ironman झारखण्ड से,एक हज़ारीबाग़ से और दुसरे जमशेदपुर से
एक प्रतियोगिता ऐसी भी जिसे
दुनिया की 0.01% से कम लोग जीत पाए
वैसे तो दुनिया में बहुत सारी प्रतियोगिताएं होती है। जिसमें प्रत्येक साल कई विजेता निकलते हैं।प्रत्येक साल कई उपलब्धियां हासिल करते है।अनेकों लोग हासिल करते हैं।कई रिकॉर्ड बनते हैं और हर साल कई रिकॉर्ड टूटे हैं।
लेकिन एक प्रतियोगिता ऐसी भी है ,जिसे दुनिया की 0.01% से भी कम आबादी ने इसे जीत कर यह उपलब्धि हासिल की है।
इस प्रतियोगिता का नाम है आयरनमैन ट्रायथलॉन
Apoorva Anand jamshedpur
आयरनमैन ट्रायथलॉन कोई साधारण दौड़ नहीं है। इसमें प्रतियोगियों को खुले पानी में 3.8 किलोमीटर तैरना होता है, पहाड़ियों और विपरीत हवाओं के बीच 180 किलोमीटर साइकिल चलानी होती है।42.2 किलोमीटर की मैराथन दौड़ पूरी करनी होती है ।यह सब 17 घंटों की समय अवधि में करना होता है। कड़ी मेहनत और कठोर परिश्रम के बाद दुनिया की 0.01% से भी कम आबादी ने यह उपलब्धि हासिल की है।
इस बार किया प्रतियोगिता झारखंड के लिए काफी खास रही।
क्योंकि इस बार इस प्रतियोगिता में झारखंड के रहने वाले अपूर्व ने इसमें उपलब्धि हासिल की है यह झारखंड के लिए एक बड़ी गौरव की स्थिति है।
अपूर्वा आनंद ने कहा की आयरनमैन सिर्फ़ एक दौड़ नहीं है - यह एक व्यक्ति के व्यक्तित्व की परीक्षा है। अपूर्वा के लिए, इस दृढ़ संकल्प की शुरुआत उसके गृहनगर जमशेदपुर में शुरू हुआ था।
अपूर्व राष्ट्रीय स्तर के तैराक है।अपूर्वा स्टील सिटी के प्रतिष्ठित क्लब पूल में प्रशिक्षण लेते हुए बड़े हुए । यहां उन्होंने खेल के प्रति सामूहिकता और जज्बात को दृढ़ संकल्पित किया और खुद को मजबूत बनाना शुरू किया।
अपूर्व टाटा स्टील के कर्मचारी के पुत्र है उन्होंने कम उम्र में ही अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ और संकल्पित कर लिया था।इनकी शिक्षा लोयोला स्कूल में हुई।फिर उन्होंने मणिपाल में इंजीनियरिंग की और बाद में मनीला के एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट से एमबीए किया। उनका करियर स्टार्टअप और बहुराष्ट्रीय कंपनियों में फैला था। खेल के प्रति सजकता और अपने लक्ष्य के प्रति संकल्पित रहने के कारण वह फिर से अपने क्षेत्र में वापस लौटे।
उन्होंने बताया कि झारखंड में प्रतिभा है। हमें ऐसे तंत्र की आवश्यकता है जो केवल प्रदर्शन को ही नहीं, बल्कि खोज को भी प्रोत्साहित करे,” वे कहते हैं।
अपूर्वा ने इस कठिन प्रतियोगिता में अपनी तैयारी के बारे में बताया कि वे लगभग एक साल तक प्रशिक्षण लिए, सूर्योदय से पहले उठते, घंटों दौड़ लगाते, साइकिल चलाते और तैराकी करते, साथ ही काम और पारिवारिक जिम्मेदारियों को भी संभालाते। सब अपनी मेहनत के भरोसे पर रखा संयोग और किस्मत के भरोसे पर उन्होंने किसी भी काम को नहीं छोड़ा। उनकी यह तैयारी केवल उनकी अकेले की तैयारी नहीं थी। उनके परिवार वाले उनकी पत्नी उनकी बेटी और परिवार के सभी सदस्यों ने उनके इस संघर्ष में साथ निभाया उनके लिए यह केवल व्यक्तिगत संघर्ष नहीं बल्कि एक पारिवारिक संघर्ष था जिसे उन्होंने संभव कर दिखाया।
अब वे गुड़गांव में रहते हैं और टाटा डिजिटल के साथ काम करते हैं।
आई.पी.एस कृष्ण प्रकाश हजारीबाग से भी रह चुके हैं
आयरनमैन ट्रायथलॉन
आई.पी.एस कृष्ण प्रकाश आयरनमैन ट्रायथलॉन प्रतियोगिता में अपना लोहा मनवा चुके हैं उन्होंने यह प्रतियोगिता को जीतकर यह उपलब्धि हासिल की। उन्होंने 36 घंटे की इस प्रतियोगिता को 34 घंटे और 21 मिनट में पूरा किया था और उपलब्धि हासिल की।
आयरनमैन कृषणा प्रकाश का हजारीबाग से है पुराना लगाव,वे शहर के सदर अस्पताल में जन्मे है। कृष्णा प्रकाश वर्तमान में महाराष्ट्र मे आईपीएस ऑफिसर के पद पर निवुक्त है।और आयरन मैन/Ultraman के नाम से जाने जाते हैं।इनका हजारीबाग से पुराना लगाव है। उन्होंने चार हजारीबाग के साथ किए गए एक इंटरव्यू में कहा था कि हजारीबाग की माटी ही मेरी सबसे बड़ी दिल की घड़कन है। यह उन्होंने बताया कि मेराजन्म हजारीबाग में हुआ है। वहां के सदर अस्पताल में जन्मा हूं। और संत रॉबर्ट विद्यालय में अपन शिक्षा दीक्षा संपन्न हुई।उन्होंने बताया कि अल्ट्रामैन ट्रायथलॉन में बहुत ही मुश्किल से शामिल होने का मौका मिलता है।
और इसमें शामिल होकर विजय होना अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।
फैज़ anwar IPS कृष्णा प्रकाश जी के साथ
प्रतियोगिता में शामिल होने से पूर्व उसे जब एक व्यक्ति ने पूछा कि
"Why you should be"? Can you finish the competition? वह बहुत कठिन रेस है ?,
मैने कहा था ," Yes I can do because, "कि मेरा जन्म और पालन छोटानागपुर की दुर्गम पहाड़ियों के इलाकों में हुआ है । और मेरी कर्मभूमि महाराष्ट्र की दुर्गम पहाडियों की बीच हुई है। इसलिए जिस मिट्टी में और खून में लंबी दूरी के जीतने का अभियान होते हैं।उनके किसी भी खेल को जीतने की क्षमता होती है। और वहीं से मुझे ऐसा करने की क्षमता मेरे में आई है।"