हज़ारीबाग़ के पहले सांसद कौन थे ? First MP of Hazaribagh
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हज़ारीबाग़ के पहले सांसद कौन थे ? First MP of Hazaribagh
Story by श्रुति/edited by Faiz Anwar
आज़ाद भारत के बाद सन् 1952 में सबसे पहले संसदीय चुनाव किए गए।
हजारीबाग के संसदीय क्षेत्र के पहले उम्मीदवार की बात की जाए तो, वर्ष 1952 के संसदीय चुनाव में बाबु रामनारायण सिंह ने कांग्रेस पार्टी के ज्ञानी राम को हराकर पहले हजारीबाग के सांसद चुने गए थे। गांधी के अनुयायी बाबू रामनारायण सिंह ने निर्दलीय (स्वतंत्र) उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था ।
कौन थे सांसद रामनारायण सिंह??
रामनारायण सिंह का जन्म 19 दिसंबर 1884 को चतरा जिले के तेतरिया गांव में हुआ था । उनके पिता जी का नाम भोली सिंह था। रामनारायण सिंह जिन्हे अक्सर " बाबु रामनारायण सिंह " के नाम से जाना हैं।
उन्होने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव तेतरिया से पूरी की और अपनी माध्यमिक शिक्षा हजारीबाग के वर्नाक्यूलर स्कूल में पूरी की। और उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा संत जेवियर कॉलेज कोलकाता से पूरी की । उन्होंने कोलकाता से कानून की डिग्री हासिल की और 1916 में पटना लॉ कॉलेज में दाखिला लिया और 1920 में वकालत शुरू की।
रामनारायण सिंह हजारीबाग के एक प्रसिद्ध स्वंत्रता सेनानी , राजनीतिज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता थे।
जिनका राजनीतिक दल छोटा नागपुर संथाल परगना जनता पार्टी रहा ।
कार्यकाल
बताते चले कि , राम नारायण सिंह और उनके भाई सुखलाल सिंह जो कि छात्र के शुरुवाती कार्यकर्ताओं में से एक थे । जिन्होंने असहयोग आंदोलन में बढ़ चढ़ कर नेतृत्व अपने कुछ अन्य सहयोगियों वल्लभ सहाय, बद्री सिंह , राज वल्लभ सिंह जैसे अन्य युवाओं के साथ किया । साथ ही साथ उन्होंने खादी का प्रचार भी किया , और सामाजिक सुधार आंदोलन के लिए ओपन मांझी, बगमा मांझी जैसे संथाली नेताओं के साथ मिल गए । वकालत की पढ़ाई के वक्त ही असहयोग आंदोलन की शुरुवात महात्मा गांधी जी के द्वारा की गई और रामनारायण सिंह वकालत की पढ़ाई छोड़ कर आंदोलन में भाग लिया।
राम नारायण सिंह और कृष्ण बल्लभ सहाय को पहली बार 1920-21 के दौरान अंग्रेजों ने एक महीने के लिए कैद कर लिया था ।
और तोह भारत के जिला गजेटियर में यह भी उल्लेख किया गया है कि " छत्र जिले से स्वतंत्रता आंदोलन में उल्लेखनीय प्रतिभागियों में बाबू राम नारायण सिंह और बाबू शालीग्राम सिंह शामिल हैं , जिन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व किया और अंग्रेजों द्वारा उनकी राष्ट्रीय गतिविधियों के लिए कई बार जेल गए थे ।
बाबु रामनारायण सिंह को छोटा नागपुर के शेर के रूप में भी जाना जाता था ।
रामनारायण हजारीबाग जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे और राजेंद्र प्रसाद , जयप्रकाश नारायण , अनुग्रह नारायण सिन्हा और श्री कृष्ण सिन्हा जैसे अन्य राष्ट्रीय नेताओं के साथ मिलकर भी काम करते थे । और 1921-26 और 1941-42 में महात्मा गांधी की बिहार यात्रा के दौरान अग्रणी नेताओं में से थे।
चुनाव की जीत
1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, उन्होंने खुद को कांग्रेस पार्टी से अलग कर लिया था । और जब 1952 में पहली बार संसदीय चुनाव किया गया तो 1952 में छोटा नागपुर संथाल परगना जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में हजारीबाग में पहला लोकसभा चुनाव जीता।
बाबु रामनारायण सिंह जी अखिल भारतीय छत्रिय महासभा के सक्रिय सदस्य थे और स्वतंत्रता के बाद 1947 में इसे पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 1955 में संघ के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया ।
बाबु द्वारा लिखी गई पुस्तक
रामनारायन सिंह ने 1956 में " स्वराज लूट गया " एक प्रसिद्ध पुस्तक लिखीं । जिससे राजनीति का आचार संहिता भी कहा जाता है ।
सड़क हादसे में हुई मौत
रांची जाने के क्रम में कार दुर्घटना में बाबू रामनारायन सिंह ने अपनी आखिरी सांसें ली।
एक दुर्घटना के बाद वे चतरा सदर अस्पताल में भर्ती हुए और 24 जून 1964 को उनकी मृत्यु हो गई।