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झारखंड सचिवालय (JSSC CGL)की परीक्षा एक अनसुलझी और अधूरी कहानी

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झारखंड सचिवालय (JSSC CGL)की परीक्षा

एक अनसुलझी और अधूरी कहानी

वर्ष 2015 से शुरू हुई एक परीक्षा की कहानी वर्ष 2025 में अब तक है अधूरी

परीक्षा परिणाम पर अब भी जारी है रोक

नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल होने वाले हजारों छात्र

नियुक्ति से हुए बाहर,नियुक्ति के इंतजार करते-करते छात्र हुए परेशान

वैसे तो आए दिन हम अखबारों और विभिन्न मीडिया संस्थान के द्वारा प्रतियोगी परीक्षाओं में होने वाली धांधली ,पेपर लीक ,गड़बड़ियां सामने आते ही रहती है।कमोवेश आज हमारी शिक्षा व्यवस्था और नौकरियों के लिए बने सिस्टम में यह कमियां और खामियां उजागर हो गई है कि प्रत्येक प्रतियोगी परीक्षा में कोई ना कोई कमी और खामी जरूर रहेगी।

वैसे तो झारखंड गठन के बाद आज तक कई प्रतियोगिकी परीक्षाएं आयोजित हुई ,चाहे वह अधिकारी वर्ग के हो या कर्मचारी वर्ग के ,परंतु यह झारखंड और झारखंड के छात्र-छात्राओं का दुर्भाग्य है कि प्रत्येक परीक्षा कोर्ट के दरवाजे तक जरूर पहुंची है। चाहे वह झारखंड कर्मचारी चयन आयोग या झारखण्ड लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा हो।

झारखंड में एक ऐसी परीक्षा है या कहा जाए कि भारत की सबसे लंबी समय तक चलने वाली परीक्षा जिसकी शुरुआत तो वर्ष 2015 में हो गई,10 साल से चल रही है JSSC CGL Exam की प्रक्रिया, 3 चेयरमैन बदले लेकिन ये नियुक्ति पूरी नहीं हो पाई।

परंतु उसका अंत कब होगा यह कहां नहीं जा सकता।

जी हां मैं बात कर रहा हूं झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा वर्ष 2015 में अधिसूचित झारखंड सचिवालय संवर्ग(JSSC CGL) के विभिन्न पदों के लिए नियुक्ति की। जिसमें पदों का विवरण निम्न है

- सहायक प्रशाखा पदाधिकारी: 863 पद

- कनीय सचिवालय सहायक: 335 पद

- श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी: 182 पद

- प्लानिंग असिस्टेंट: 5 पद

- प्रखंड कल्याण पदाधिकारी: 195 पद

- प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी: 252 पद

- अंचल निरीक्षक: 185 पद

- बैकलॉग पद: 8 पद

झारखंड सचिवालय की परीक्षा 2016 से लेकर आज तक कई उतार-चढ़ावों से गुजरी है। यहाँ कुछ प्रमुख घटनाएं हैं¹:

- 2015 में पहली बार विज्ञापन जारी

: झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) ने स्नातक स्तरीय पदों के लिए भर्ती जारी की थी, प्रारंभिक परीक्षा होने के बावजूद विज्ञापन में कई त्रुटियों के कारण झारखंड हाईकोर्ट ने इसे रद्द कर दिया था।इस परीक्षा के लिए पहली बार विज्ञापन साल 2015 में प्रकाशित हुआ था. उस वक्त आवेदन भरने का शुल्क एक हजार रुपये था। 21 अगस्त 2016 को इसका प्री एग्जाम हुआ और अक्टूबर में रिजल्ट प्रकाशित कर दिया गया. लेकिन मुख्य परीक्षा संपन्न नहीं हो सकी और इसे फिर रद्द करना पड़ा. साल 2017 में फिर से आवेदन लिये गये और परीक्षा की संभावित तारीख 2018 रखी गयी. इस बार पदों की संख्या में बढ़ोतरी की गयी।. इसके बाद परीक्षा की संभावित तारीख में फिर बदलाव करते हुए 2019 का नवंबर-दिसंबर महीना रखा गया।लेकिन यह परीक्षा भी नहीं हो सकी।

- *2019 में नया विज्ञापन*:

जेएसएससी ने फिर से नया विज्ञापन जारी किया, इस समय छात्रों से आवेदन के लिए ₹1000 लिया गया। लेकिन स्पष्ट नियोजन नीति का उल्लेख न होने के कारण झारखंड हाईकोर्ट से नियोजन नीति रद्द होने के कारण इसे रद्द करना पड़ा।

- *2021 में फिर से प्रयास*: जेएसएससी ने एक बार फिर नया विज्ञापन जारी किया, लेकिन यह भी विवादों में आया। परीक्षा अगले 1 साल से अधिक समय तक के लिए टली रही।

- *2023 में विज्ञापन और परीक्षा*:

जेएसएससी ने जून 2023 में विज्ञापन जारी किया । 2023 में परीक्षाओं को दो चरणों में आयोजित करने का निर्णय लिया गया। पहले चरण की परीक्षा का आयोजन होने के साथ ही परीक्षा केंद्र के बाहर आने के साथ ही छात्र-छात्राओं ने पेपर लीक करने का आरोप लगाया। बाद में SIT का गठन हुआ ।और जांच में पाया गया की परीक्षा आयोजन करने वाली एजेंसी के द्वारा पेपर लीक किया गया था। और सभी पेपर्स की परीक्षाओं को रद्द किया गया।

पुनः सितंबर 2024 में परीक्षा का आयोजन

महीनो इंतजार के बाद फिर से परीक्षा का आयोजन 21 और 22 सितंबर 2024 को करने का निर्णय लिया गया। इस बार की परीक्षा में अलग तरह के सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे ।पिछली बार पेपर इंटरनेट पर पूरी तरह से वायरल हो गए थे।लेकिन इस बार की परीक्षा के पूर्व दो दिनों तक इंटरनेट सेवा पूरी तरह से बंद कर दिया गया था।

-पेपर लीक के आरोप

परीक्षा के तुरंत बाद कई छात्रों ने पेपर लीक का आरोप लगाया। उनका कहना था कि प्रश्नपत्र सोशल मीडिया पर पहले ही वायरल हो गए थे, जिससे कई उम्मीदवारों को अनुचित लाभ मिला।

छात्रों का आंदोलन व्यापक रूप से पूरे राज्य भर में फिर से फैल गया परंतु परीक्षा आयोजन करने वाली संस्था झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने सिरे से पेपर लीक की घटना को जानकारी दिया कई बार छात्रों के प्रतिनिधि मंडल द्वारा सबूत को सोपा गया परंतु फिर भी इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं कीगई। बढ़ते छात्र आंदोलन को देखते हुए एक बार फिर से CID का गठन किया गया। परंतु छात्र अब पूर्व की भांति राज्य सरकार के एजेंसी से पेपर लीक की जांच करने पर संतुष्ट नहीं थे वह सीबीआई से जांच की मांग पर अड़े रहे।

छात्रों ने परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया और कई छात्रों को हिरासत में लिया गया।

सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन

बढ़ते छात्र आंदोलन के बीच जेएसएससी ने सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन के लिए अभ्यर्थियों की सूची जारी की और दस्तावेज सत्यापन का कार्य पूरा कर लिया।

मजबूरन छात्रों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की

हाईकोर्ट में याचिका

छात्रों ने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की और परीक्षा को रद्द करने तथा सीबीआई जांच की मांग की।

-परीक्षा परिणाम पर रोक

हाईकोर्ट ने परीक्षा परिणाम जारी करने पर रोक लगा दी है। यह रोक तब तक जारी रहेगी जब तक कि कोर्ट की ओर से कोई आदेश पारित नहीं हो जाता।

-सीआईडी जांच

झारखंड सरकार ने सीआईडी जांच के आदेश दिए हैं। सीआईडी ने साक्ष्यों को फॉरेंसिक साइंस लैब में भेजा है और जांच रिपोर्ट आने के बाद ही विस्तृत जांच रिपोर्ट सबमिट की जाएगी।

सीआईडी की जांच के क्रम में कई महत्वपूर्ण खुलासे हुए,जिसमें कई लोगों को गिरफ्तार किया गया ।सीआईडी ने अब तक माना है कि पेपर लीक की घटना नहीं हुई है बल्कि पेपर दिलाने के नाम पर अवैध रूप से पैसों की उगाही की गई है।पुलिस ने पेपर लीक मामले में 8 IRB पुलिस जवानों समेत 8 लोगों को गिरफ्तार किया है। अभी तक कुल 13 लोगों के खिलाफ चार्जसीट दायर की जा चुकी है। सीआईडी के अनुसार छात्रों को पैसे अवैध रूप से उगाही करने वाले लोगों के द्वारा 200 के तकरीबन प्रश्न दिए गए थे। जिसमें से 30 से 40 प्रश्न परीक्षा में आए।

- *हाईकोर्ट का फैसला

हाईकोर्ट का फैसला अभी लंबित है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 18 जून 2025 कर दी है। इस बीच परीक्षा परिणाम पर रोक जारी है

अब देखना यह है कि 10 सालों से चली आ रही ये नियुक्ति का आखिरकार क्या होता है क्या यह परीक्षा रद्द होगी या हाई कोर्ट के देखरेख में या नियुक्ति प्रक्रिया को पूरी कर ली जाएगी।इन सभी प्रसंग में एक बात जो सबसे अलग है वह यह है कि इस बीच छात्र-छात्राओं के भविष्य का कोई ध्यान नहीं रखा गया।पेपर लीक धांधली जैसे घटनाओं ने छात्रों के मनोबल को तोड़ा ।और सरकारी संस्थानों पर उसके विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़ा किया। आखिर झारखंड में होने वाली प्रत्येक परीक्षा पर छात्र सवाल क्यों खड़ा करते हैं।कहीं ना कहीं परीक्षाओं का आयोजन करने वाली संस्थाएं और सरकार ने अपनी वस्तुगत स्थिती इस प्रकार से छात्रों के सामने प्रस्तुत की है कि छात्रों को उन पर विश्वास ही नहीं कायम होता है।

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