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UG NEET का रिजल्ट जारी हज़ारीबाग़ के अब्बादुल ने किया ज़िला टॉप लाया 284 All इंडिया रैंक

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UG NEET का रिजल्ट जारी

नीट यूजी में 12.36 लाख से ज्यादा हुए क्वालीफाई,

राजस्थान के महेश ने किया टॉप

हज़ारीबाग़ के अब्बादुल ने किया ज़िला टॉप लाया 284 All इंडिया रैंक

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देश में मेडिकल के क्षेत्र में आगे बढ़ने और डॉक्टर बनने की चाह रखने वाले छात्र UG NEET की परीक्षा देते हैं और रैंक के आधार पर उन्हें देश के प्रतिष्ठित कॉलेजों में एडमिशन मिलता है।

नीट यूजी 2025 का रिजल्ट जारी कर दिया गया है. इस साल 2,09,318 उम्मीदवारों ने अंडरग्रेजुएट मेडिकल कोर्स में एडमिशन के लिए नीट यूजी की परीक्षा दी थी।कुल 2209318 उम्मीदवारों ने नीट यूजी 2025 की परीक्षा दी जिनमें से 1236531 क्वालीफाई हुए हैं. इनमें कुल उम्मीदवारों 1271896 लड़कियों ने नीट यूजी की परीक्षा दी और 722462 क्वालीफाई हुईं हैं. वहीं 937411 लड़कों में से 514063 क्वालीफाई हुए हैं. जबकि थर्ड जेंडर के 11 उम्मीदवारों में से 06 क्वालीफाई हुए हैं।

नीट यूजी 2025 परीक्षा में 99.9999547 परसेंटाइल लाकर राजस्थान के महेश कुमार ने नीट यूजी में पहली रैंक हासिल की है और पूरे देश में टॉप किया है. इसके बाद मध्य प्रदेश के उत्कर्ष अवधिया ने 99.999095 के साथ 2nd रैंक हासिल की है. महाराष्ट्र के कृषांग जोशी ने 99.9998189 पर्सेंटाइल के साथ NEET UG 2025 में AIR 3 हासिल की है

इस साल नीट यूजी परीक्षा भारत के 557 शहरों और विदेशों में 14 केंद्रों में फैले 4,750 परीक्षा केंद्रों पर हुई थी।नीट यूजी रिजल्ट के साथ ही फाइनल आंसर की भी जारी कर दी गई है।

शिक्षक के बेटे ने किया कमाल

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NEET UG में लाया AIR 284 रैंक

हजारीबाग के सरकारी शिक्षक के बेटे ने NEET UG में ऑल इंडिया रैंक 284 लाकर परिवार और हजारीबाग जिले का नाम रौशन किया।

JEE MAINS की भी परीक्षा दी थी

अब्बादुल हक ने बताया कि उन्होंने जेईई मेंस की भी परीक्षा दी थी। जिसमें उन्हें बढ़िया रैंक प्राप्त हुआ था उन्हें NIT जमशेदपुर जैसे संस्थान आसानी से मिल जाते। बाद में NEET की तरफ तैयारी में लग जाने के कारण उन्होंने जेईई एडवांस्ड की परीक्षा नहीं दी।

यूपीएससी की परीक्षा देकर IAS बनने का का था सपना

अब्बादुल हक के पिता ने बताया कि बच्चे किस फील्ड में जाना चाहते हैं क्या करना चाहते हैं इसके लिए उन पर कभी दबाव नहीं बनाया ।वह अपनी इच्छा और समझ के अनुसार अपने फील्ड में आगे बढ़ते गए।बचपन से ही उनके बेटे का सपना आईएएस बनने का था ।परंतु रिम्स की स्थिति और वहां डॉक्टरों की जरूरत को देखते हुए ।इसने अपना मन बदला और डॉक्टर बनने की ठानी। इन्होंने कहा कि डॉक्टर बन के भी लोगों की मदद की जा सकती है।

कैसे और कहा से की थी तैयारी

अब्बादुल हक ने बताया कि उन्होंने 10th बोर्ड की परीक्षा एंजेल्स हाई स्कूल हजारीबाग से दी थी। उसके बाद उन्होंने रहमानी 30 इंस्टिट्यूट का एंट्रेंस एग्जाम दिया और उसे क्वालीफाई कर तैयारी के लिए बिहार चले गए। वहीं पर रहकर उन्होंने अपनी तैयारी को आगे बढ़ाया। उन्होंने बताया कि वहां पर पढ़ाई के लिए दिनचर्या तय थी।क्योंकि चुने इंस्टिट्यूट में चुने हुए 30 छात्रों का समूह होता था।इसीलिए सभी छात्रों में वाद विवाद ,चर्चा विमर्श चलते रहता था। शिक्षकों की पढ़ाई से ज्यादा ग्रुप स्टडी और सेल्फ स्टडी पर जोर दिया जाता था।पढ़ने पढ़ाने का माहौल होने से ,वहां उन्हें तैयारी में आसानी हुई।कठिन से कठिन प्रश्नों को हल करने का लगातार अभ्यास होता था। जिससे आसान प्रश्न आसानी से हो जाते थे।AIR रैंक 284 में दिल्ली एम्स तो नहीं लेकिन अन्य एम्स में आसानी से एडमिशन हो जाएगा।

2 साल तक फोन से बनाए रखा दूरी

रहमानी 30 इंस्टिट्यूट में स्टूडेंट के मोबाइल फोन चलाना पूरी तरह से प्रतिबंध था।किसी भी तरह से सोशल मीडिया या अन्य चीजों के लिए फोन चलाना वर्जित था। वहां के छात्र किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से जुड़े हुए नहीं थे। फोन से दूरी रहने पर वह अपनी तैयारी में वास्तविक रूप से जुड़े रहते थे। परीक्षा के कुछ महीने पहले ही उन्हें फोन इस्तेमाल की अनुमति थी ,वह भी केवल परीक्षा से संबंधित टेस्ट और जानकारी के लिए।

घर वालों से सप्ताह में दो-तीन बार इंस्टिट्यूट के फोन के माध्यम से होती थी इसके अलावा फोन से पूरी तरह से दूरी रखी गई थी।

अब्बादुल हक की मां ने कहा कि बच्चों को सफल बनाने के लिए मां को अपने बच्चों से अलग करना ही पड़ता है। बचपन से साथ रहने के बाद अचानक से पूरी तरह से 2 सालों के लिए अपने बच्चों से अलग रहना मुश्किल तो था ।लेकिन बच्चे की सफलता में मां की सफलता और खुशी है।

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