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बिरसा मुंडा के शहादत के 125 वाँ वर्ष और हुल विद्रोह के मौके पर इंटर स्कूल फुटबाल टूर्नामेंट का आयोजन

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बिरसा मुंडा के शहादत के 125 वाँ वर्ष और

हुल विद्रोह के मौके पर इंटर स्कूल फुटबाल टूर्नामेंट का आयोजन

हुल विद्रोह के नायक सिद्दो कान्हो चांद भैरव फूलों झांनो को किया गया पुष्प अर्पण

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सेंट्रल कलकत्ता गोस्टोपोल क्लब के मुख्य कोच जुल्फिकर व जिला खेल अधिकारी,सुनील नायक फुटबॉल एसोसिएशन खूंटी के कोषाध्यक्ष रहे उपस्थित।

बिरसा मुंडा का संघर्ष

25 साल का नौजवान जो झारखंड के घने जंगलों में रहता था। यहां के आदिवासी जनजाति के जीवन को देखकर उसके मन में काफी दुख होता था। अंग्रेजों ,जमींदारों ,धन्नासेठ सेठ के शोषण से परेशान अपने लोगों के लिए कुछ करना चाहता था। अपने लोगों के समृद्धि विकास के लिए कम उम्र में ही कोशिश करने में लग गया। अपने विचारों और प्रभाव के कारण लोगों के बीच इन्होंने बिरसाइत पंथ को स्थापित किया। इनकी बातों की प्रभावशीलता और उनकी कार्यों से लोगों की स्थिति में सुधार होने लगा। इसे देखकर जनजाति समाज नहीं इन्हें भगवान का रूप या अवतार समझा। बिरसा मुंडा के संघर्ष का ही परिणाम है कि वर्ष 1908 में छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम बनाया गया जिसके आधार पर आदिवासी जनजातियों की जमीन सुरक्षित हो पाई। खूंटी और गुमला को नए अनुमंडल के रूप में स्थापित किया गया। अपने जल जंगल जमीन के बचाव के लिए दो बार जेल भी गए। दूसरी बार जेल जाने के बाद 9 जून 1900 को जेल में ही उनकी मृत्यु हो गई। अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि उनकी मृत्यु हैजा बीमारी के कारण हुई थी। जबकि कुछ लोगों का कहना है कि अंग्रेजों द्वारा साजिश करके इन्हें मार दिया गया।

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वर्ष 2025 में इनकी शहादत के 125 वर्ष हो रहे हैं। इस विशेष अवसर पर शहीद बिरसा मुंडा स्पोर्ट्स एसोसिएशन ने फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन कराया। यह फुटबॉल टूर्नामेंट 29- 30 जून को खूंटी जिला के बिरसा कॉलेज के स्टेडियम में आयोजित किया गया। यह दो दिवसीय टूर्नामेंट अंडर 15 इंटर स्कूल फुटबाल टूर्नामेंट था। इसमें खूंटी जिला के विभिन्न स्कूलों से दर्जन दर्जनों टीम ने भाग लिया।इंटर स्कूल फुटबाल टूर्नामेंट का दूसरे दिन पहला सेमी फाइनल सेंट जोसेफ स्कूल तोरपा और  एस.डी. ऐ  एस.आर स्कूल खूंटी तथा दूसरा सेमीफाइनल लोयला इंग्लिश स्कूल और अनीगढ़ा+2 स्कूल के बीच खेला गया। सेमीफाइनल जीतने वाली टीम  अनीगढ़ा+2 स्कूल और एस.डी. ऐ  एस.आर स्कूल खूंटी के बीच रोमांचक फाइनल मैच खेला गया। जिसमें अनीगढ़ा+2 स्कूल 2- 0 से जीत गई।शहीद बिरसा मुंडा स्पोर्ट्स एसोसिएशन के संयोजक सुबोध माली ने बताया कि बिरसा मुंडा जैसे महान मनीषी और व्यक्तित्व मैं हमारे समाज के बेहतरीन के लिए काफी प्रयास किया है,इस तरह के टूर्नामेंट का आयोजन से छात्रों युवाओं के अंदर में खेल के प्रति आकर्षण, सामूहिकता की भावना को बढ़ावा देना, बिरसा मुंडा, सिद्दो कान्हो जैसे लोगों का आचरण व जीवन संघर्ष को आत्मसात करना है। आगामी आने वाले समय में पूर्वोत्तर राज्य झारखंड बिहार पश्चिम बंगाल और उड़ीसा राज्यों के साथ जोनल फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन होगा।

हुल विद्रोह के नायक को किया गया याद

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दो दिवसीय टूर्नामेंट के अंतिम दिन शहीद बिरसा मुंडा और 30 जून को हुए महान हूल विद्रोह के नायक सिद्दो ,कान्हो,चांद  ,भैरव फूलों झांनो के तस्वीर पर पुष्प अर्पित किया गया। उपस्थित अतिथियों ने 30 जून को हुए हुल विद्रोह के बारे में बताया किस तरह से हमारे झारखंड के वीर ने अंग्रेजों के शासन से संघर्ष किया अपने समाज के लोगों को शोषण से मुक्ति दिलाने के लिए हुल विद्रोह की। इतिहास में इसे भारत की पहली जन क्रांति के रूप में जाना जाता है।

शमशुल आलम कमिटी सदस्य ने बताया कि 30 जून 1855 को साहिबगंज भोगनाडीह में 10000 लोगों की सभा में सिद्धो को राजा घोषित किया गया। कान्हू को मंत्री चांद को प्रशासक और भैरव को सेनापति चुना गया।अंग्रेज इतिहासकार हंटर ने लिखा इस महान क्रांति में 20000 लोगों को मौत के घाट उतारा गया।

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देश भर में 30 जून को हूल क्रांति दिवस मनाया जाता है और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वाले आदिवासियों की शौर्य गाथा और बलिदान को याद किया जाता है. संथाली भाषा में हूल का अर्थ क्रांति होता है।आदिवासी इस दिन को अपने संघर्ष और अंग्रेजों के द्वारा मारे गए अपने 20000 लोगों की याद में मनाते हैं। जैसा कि शब्दों से स्पष्ट हो रहा है, यह विद्रोह आदिवासियों की संघर्ष गाथा और उनके बलिदान को आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों के छक्‍के छुड़ाने वाले नायकों को याद करने का खास दिन है।हूल का संथाली अर्थ है विद्रोह. 1855 में आज ही दिन भोगनाडीह गांव के सिद्धू-कान्हू की अगुवाई में झारखंड के आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया और 400 गांवों के 50,000 से अधिक लोगों ने पहुंचकर जंग का ऐलान कर दिया और हमारी माटी छोड़ो का ऐलान कर दिया. आदिवासियों ने परंपरागत शस्त्र की मदद से इस विद्रोह में हिस्सा लिया. इस विद्रोह के बाद अंग्रेजी सेना बुरी तरह से घबरा गई और आदिवासियों को रोकना शुरू कर दिया।संथालों की लड़ाई महाजनों के खिलाफ थी लेकिन अंग्रेजों के करीब होने के कारण संथालों ने दोनों के खिलाफ विद्रोह कर दिया था.

अंग्रेजों ने विद्रोह को रोकने के लिए 1856 में तो रात मार्टिलो टावर का निर्माण कराया और उसमें छोटे-छोटे छेद बनाए गए ताकि छिपकर संथालियों को बंदूक से निशाना बनाया जा सके. लेकिन एक इमारत भला आदिवासियों के पराक्रम के आगे कहां टिकने वाली थी. संथालियों के पराक्रम और साहस के आगे अंग्रेजों को झुकना पड़ा और उल्टे पांव भागने पर मजबूर होना पड़।

फुटबॉल टूर्नामेंट के विजेता

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टूर्नामेंट में फाइनल में विजेता अनीगढ़ा+2 स्कूल व रनरअप एस.डी. ऐ  एस.आर स्कूल खूंटी रहे।इस टूर्नामेंट कुल 10 स्कूल टीम के बीच मुकाबला हुआ था।

टूर्नामेंट में बेहतरीन प्रदर्शन करने वालों में मैंन ऑफ द टूर्नामेंट मंगल मुंडा,फाइनल में मैन ऑफ द मैच रोहित होरो,बेस्ट डिफेंडर इमैनुएल कछप तथा बेस्ट गोलकीपर आयुष ओरांव को मिला।

आज के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर सेंट्रल कलकत्ता गोस्टोपोल क्लब के मुख्य कोच जुल्फिर अली ,सुनील नायक फुटबॉल एसोसिएशन खूंटी के कोषाध्यक्ष, मेडिकल टीम इंचार्ज डॉ जैनेन्द्र सिंह,गणमान्य उपस्थित हुए।

कार्यक्रम को सफल बनाने में अनीषा कुजूर, कमल कुंडू, अजय हेंब्रम, रबीना पूर्ति, अंकित प्रणय, निशा केरकेट्टा, हेलन होरो, रोज होरो, जेविस सोय, बिरसिंह ,कमाल आदि का योगदान रहा।

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