
सौरव नारायण सिंह ने किसे दान कर दिया हज़ारीबाग़ का पद्मा किला
1043 Views
सौरव नारायण सिंह ने किसे दान कर दिया पद्मा किला
#johar #joharhazaribagh #padma #padmaquila #padmafort #heritage
अब पद्मा किला हो जाएगा खत्म,शुरू होगा एक नया दौर
पद्मा किला अब जाना जाएगा शिक्षा के क्षेत्र में
पद्मा किला अब होगा यूनिवर्सिटी का परिसर
पद्मा किला को विवि के लिए दान देने की तैयारी
10 अगस्त को सरकार को सौंपी जाएगी जमीन
मंगलवार दोपहर पूर्व विधायक सौरभ नारायण सिंह विनोबा भावे के वीसी डॉक्टर चंद्रभूषण शर्मा के साथ अपने पैतृक आवास पदमा पहुंचे। यहां उन्होने वीसी साहब 5 को किला प्रांगण में बुके देकर स्वागत 5 किया। तत्पश्चात पूर्व विधायक ने किला, गेस्ट हाउस, रानी तालाब यदि न क्षेत्रों को घूम घूम कर दिखाया।
इस दौरान पूर्व विधायक ने कहा हमारे पूर्वजों का सपना था हज़ारीबाग को शिक्षा के क्षेत्र में हब बनाना और इसके तहत हमारे पूर्वज विनोबा भावे यूनिवर्सिटी को सैकड़ो एकड़ जमीन दिए थे। आज विश्वविद्यालय को जमीन हम पुनः देकर पदमा क्षेत्र को शिक्षा के साथ यहां के लोगो को रोजगार मिले इसके तहत इस जमीन को देने का निर्णय लिया ।
बहुत जल्द हम सरकार को यह जमीन दे रहे है। राजा बहादुर कामख्या नारायण सिंह हमारे दादा जी का जन्म दिवस 10 अगस्त को है। उनके जन्म दिवस पर सरकार के नाम यह जमीन कर देना है। इसी के तहत वीसी किला का जायजा लिए। मौके पर विनोद कुशवाहा, संदीप सिंह आदि थे।
आइए जाने पद्मा किला को
झारखंड के हजारीबाग जिले को अपने गौरवशाली अतीत पर गुमान है। उन्हीं में से एक पदमा किला भी है।ये रामगढ़ के राजा का किला था। लेकिन अब देखभाल के अभाव में अपनी पहचान खोता जा रहा है।
रामगढ़ राज का पद्म पैलेस (जिसे पद्मा किला भी कहा जाता है) पद्मा में स्थित है। शिवगढ़ गेट इसके मुख्य आकर्षणों में से एक है। रामगढ़ राज के इतिहास को प्रदर्शित करने वाली एक फोटो गैलरी है। तत्कालीन एस्टेट में अब एक पुलिस अकादमी है। चारदीवारी और मुख्य द्वार पटना-रांची राजमार्ग पर हैं।यहां की दीवार उन लोगों की तरह नहीं है जो शहर के लोग अपने घरों को घेरते हैं। यह खुदी हुई है, नक्काशीदार है और इसके खंभों पर छोटे-छोटे गुंबद हैं।
हजारीबाग शहर से महज 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पदमा किला राजा राम नारायण सिंह के वंशजों का ऐतिहासिक किला है। जिसे देखने लोग दूर दूर से आते हैं।आज रजवाड़े में न तो पहले जैसी रौनक रही, न ही पहले जैसी ठाट।बाकी है तो सिर्फ यहां से जुड़ी यादें।
1366 में रखी गई थी नींव
वर्तमान समय में इस वंशज के युवराज सौरव नारायण सिंह जो कभी-कभार इस मिलकियत को देखने आते हैं.l। कभी यहां इम्पोर्टेड गाड़ियों की कतार होती थी और हाथी दरवाजे पर आगंतुक का स्वागत करते थे। रामगढ़ राज की नींव राजा रामगढ़ कामाख्या नारायण सिंह के पूर्वज बाघदेव सिंह खरवार और सिंह देव नाम के सगे भाइयों ने 1366 में रखी थी। बाद में रामगढ़ राज के लोग बड़कागांव, इचाक होते हुए पदमा में आकर बस गए।
जनता के काफी नजदीक थे राजपरिवार
राज परिवार के बारे में कहा जाता था ये जनता के काफी नजदीक थे। इस कारण राजतंत्र के बाद भी प्रजातंत्र में भी इस परिवार को जनता ने जनप्रतिनिधि बनाया और सदन तक भेजा।कामाख्या नारायण सिंह से रामगढ़ राज परिवार का राजनीतिक जीवन शुरू होता है। वे बिहार विधानसभा में चार बार विधायक रहे। दो बार बगोदर और दो बार हजारीबाग सदर का उन्होंने प्रतिनिधित्व किया।इससे पहले 1947 में वे हजारीबाग जिला परिषद के पहले निर्वाचित अध्यक्ष रहे और लगातार 12 वर्षों तक इस पद पर बने रहे।
हजारीबाग संसदीय क्षेत्र का उन्होंने चार बार 1962, 1967, 1977 और 1980 में प्रतिनिधित्व किया. इसी परिवार की विजया राजे प्रथम राज्यसभा की सदस्य रहीं. इसी परिवार की पूर्वज राजमाता शशांक मंजरी देवी ने बिहार विधानसभा में दो बार जरीडीह और डूमरी का प्रतिनिधित्व किया. इसके अलावा भी इस राज परिवार के कई लोग ने प्रजातंत्र में हिस्सा लिया।
शिक्षा के क्षेत्र के लिया जाना जाएगा अब पद्मा
हजारीबाग में स्थित विनोबा भावे विश्वविद्यालय जिसकी व्यापकता का अंदाज इससे लगाया जा सकता है कि 1992 में स्थापित इस विश्वविद्यालय के अंतर्गत में उत्तरी छोटा नागपुर प्रमंडल के हजारीबाग चतरा कोडरमा गिरिडीह धनबाद बोकारो जैसे प्रमुख जिले आते थे वर्ष 2017 में विनोद बिहारी कोलांचल विश्वविद्यालय बनने से धनबाद और बोकारो का संचालन अलग से होने लगा। झारखंड के प्रमुख विश्वविद्यालय में विनोबा भावे विश्वविद्यालय शामिल है। यहां दर्जनों पाठ्यक्रमों की पढ़ाई होती है वोकेशनल से लेकर सामान्य पाठ्यक्रमों की पढ़ाईयां यहां होती है।
परंतु आने वाले वर्षों में इसका दायरा अब और बढ़ने वाला है क्योंकि पद्मा किला जो बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है विश्वविद्यालय के परिसर के रूप में शामिल होने वाला है या न केवल हजारीबाग बल्कि हजारीबाग से जुड़े हुए तमाम जिलों के लोगों वहां के स्थानीय और छात्र-छात्राओं के लिए बड़ी खबर है।
